लोक संस्कृति का पर्व ‘कोलांग महोत्सव’सम्पन्न,

कांकेर(khabarwarrior)लुप्त होती आदिवासी संस्कृति को बचाने और सहेजने के उद्देश्य से कोयलीबेड़ा क्षेत्र के तीनों परगना (कालपाट, पदल और भोमरा) के सर्व आदिवासी समाज के हजारों लोग पदल परगना के कामटेड़ा में एकत्रित होकर दो दिवसीय कोलांग महोत्सव का आयोजन किया ।
विगत दो वर्षों से कोयलीबेड़ा और चिलपरस में सफल आयोजन के बाद यह तीसरा वर्ष था जब यह कोलांग महोत्सव कोयलीबेड़ा क्षेत्र में मनाया गया।
आयोजन समिति के अध्यक्ष सनकु राम उसेण्डी का कहना है कि नई पीढ़ी को आदिवासी संस्कृति की जान पहचान हो, आखिर उनकी संस्कृति को बचाने की जिम्मेदारी युवाओं पर ही आश्रित है ,शिक्षा के साथ साथ संस्कृति की भी जानकारी लोगों में बढ़े यही उद्देश्य के साथ हमारा यह आयोजन होता है ।
महोत्सव में तीनो परगना के 45 टीमो ने हिस्सा लिया जिसमे छेरता,कोलांग, हुलकिंग,रेला आदि आदिवासी नृत्यों का प्रदर्शन किया गया जिससे आपसी सामाजिक तालमेल बना रहे ,संस्कृति के प्रति लोग जागरूक हों।
सनकु राम उसेंडी ने बताया कि,यह आयोजन का तीसरा साल था, हर वर्ष पूस पुन्नी के अवसर पर इसी प्रकार का आयोजन जारी रहेगा जहां आदिवासी संस्कृति को जानने पहचानने का मौका सामाजिक बन्धुओं को मिले और सीखने का प्रयास लगातार जारी रहे यही हमारा प्रयास होगा।
नई पीढ़ी के साथ धीरे धीरे आदिवासी संस्कृति को लोग भूलते जा रहे हैं। यही वजह है कि सर्व आदिवासी समाज के बुद्धिजीवी वर्ग ने इस प्रकार संस्कृति से सम्बंधित आयोजन करने का फैसला लिया ताकि आधुनिकता के इस चकाचौंध में भी पुरातन संस्कृति अपनी पहचान जीवित रख सके।
(Khabarwarrior के लिए जयंत रंगारी की रिपोर्ट)