छत्तीसगढ़राजनीति

भाजपाई लीक पर चलने वाला बजट-माकपा

रायपुर(khabarwarrior)मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज कांग्रेस सरकार द्वारा पेश बजट को भाजपाई लीक पर चलने वाला बजट करार देते हुए कहा है कि भाजपा ने पिछले 15 सालों में जिन कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों को लागू किया था, उससे हटने की कोई झलक इस बजट में नहीं दिखती।

यही कारण है कि इसमें योजनाएं, घोषणाएं और वादे तो हैं, लेकिन इसे जमीन में उतारने के लिए पर्याप्त बजट प्रावधान तक नहीं है।

पिछले वर्ष विभिन्न विभागों को आबंटित बजट का 20% से 35% तक खर्च नहीं हुआ है, इसलिए बजट का आकार भी कोई मायने नहीं रखता और इतने बड़े बजट में पूंजीगत व्यय को मात्र 14% ही रखा जाना अर्थव्यवस्था की रफ्तार को कम करेगा।

आर्थिक सर्वेक्षण में अर्थव्यवस्था संकेतक में आई गिरावट

आज पेश बजट पर जारी अपनी प्रतिक्रिया में माकपा राज्य सचिवमंडल ने कहा है कि प्रदेश का आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि अर्थव्यवस्था से जुड़े तमाम संकेतकों में पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट आई है।

इससे स्पष्ट है कि देशव्यापी मंदी के प्रभाव से अब छत्तीसगढ़ भी अछूता नहीं है। इस तथ्य को छुपाने के लिए प्रदेश के आर्थिक संकेतकों की तुलना मंदी में फंसे देश के संकेतकों से की जा रही है, जो पूरी तरह से गलत है।

आर्थिक संकेतकों में गिरावट और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि का सीधा अर्थ है कि प्रदेश में आर्थिक असमानता बढ़ रही है और इस हकीकत को ढंकने के लिए बजट के जरिये आम जनता पर राहत के छींटें मारने की कोशिश की गई है।

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि मनरेगा जैसी सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार प्रदाय योजना के बजट आबंटन में कटौती की गई है, जिससे रोजगार सृजन में भारी गिरावट आएगी। रोजगार देने के दावे के बावजूद एक लाख से ज्यादा खाली पड़े सरकारी पदों को भरने के बारे में इस सरकार ने चुप्पी ही साध ली है।

असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए कुछ नहीं है और मध्यान्ह भोजन मजदूरों की मजदूरी में वृद्धि की जो घोषणा पिछले वर्ष के बजट में की गई थी, उसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार कृषि के सिंचित रकबे में 20 लाख हेक्टेयर की वृद्धि करने की घोषणा हवा-हवाई ही है।

भाजपा की नीतियों को बदस्तूर जारी रखने वाली कांग्रेस सरकार

संजय पराते नेता ने कहा है कि जल, जंगल, जमीन से जुड़े सवालों को आदिवासियों और किसानों के हक़ में हल करने की कोई झलक भी इस बजट में नहीं दिखती। इससे स्पष्ट है कि प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों को कार्पोरेटों के हवाले किये जाने और आदिवासियों व गरीब किसानों को विस्थापित करने की भाजपा की नीतियों को कांग्रेस की सरकार भी बदस्तूर जारी रखेगी।

माकपा ने कहा है कि वह जल, जंगल, जमीन, खनिज, रोजी-रोटी, खेती-किसानी से जुड़े मुद्दों पर इस सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आम जनता को लामबंद कर संघर्ष तेज करेगी। पार्टी ने एक बार फिर विधानसभा के इस सत्र में सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने और एनपीआर करने के लिए जारी अधिसूचना वापस लेकर इस प्रक्रिया को रोकने की मांग भी की है।

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