उदय और अस्त इंसान के हाथ में है.
[अमित चंद्रवंशी”सुपा”]
दुनिया के तमाम देश के डॉक्टर नावेल कोरोना वायरस के दवा या वैक्सीन बनाने में लगे हुए है, मानवीय सभ्यता का उदय के बाद यह एक पहली लड़ाई जो सभी देश अपने घर मे खुद से खुद लड़ रही है। सभ्यता का उदय और अस्त मानव के हाथ मे हमेशा से रहा है, उसके पीछे सारी दुनिया है। मानव ने विकास के अनेक परिभाषा दिये लेकिन सभी विकास की रूपरेखा अलग अलग है समय के साथ विकास में फेरबदल हुआ।
आज सभी सम्पन्न, विकसित और विकासशील देश नावेल कोरोना वायरस से जूझ रहा है, ज्यादातर देश हाथ खड़ा कर दिये हैं, विश्व महामारी में देश की सीमा देखना उचित नही होगा, इतिहास से हमे बहुत कुछ सीखने को मिला है। ऐसे में इतिहास को साक्षी मनाकर हमे आज अपने घर को पहले देखने की जरूरत है, अगर हम सक्षम है तो दुनिया को रास्ता दिखा सकते है। सरकार के काम पर हस्तक्षेप न करते हुए उनके साथ खड़े होने की जरूरत है।
विश्व मंदी कि ओर बढ़ रहा है,वही महामारी ने लाखों लोगों की जान ले ली है वही मरीजो की संख्या कम होने के बजाए आए दिन बढ़ रही है।
विश्व मंदी 1929 में अमेरिका के स्टॉक मार्केट क्राइसिस से शुरुआत हुई,और उस समय मृत्युदर अवसाद से बढ़ी, विश्व का आर्थिक मंदी लंबे दौर के बाद द्वितीय विश्व युद्ध के समय लाइन में आया। अवसाद से मृत्युदर बढ़ी, जीने के लिए आज लोगो को मेन्टल स्ट्रेंग्थ पर काम करने की जरूरत है, रोग प्रतिशोधक क्षमता बढ़ाये जाने से लड़ सकते है। धैर्य, साहस, सौम्यता, विज्ञान, एकजुटता, विज्ञान व अनुभव आदि से लड़ने की जरूरत है।
आज भारत की स्थिति USA और यूरोपीय देशों से बेहतर है, कोरोना ग्रोथ चार्ज कम हुई। हेल्थ इंस्ट्राफ्रैक्चर हमारी बेहतर है,कोरोना राइजिंग कर्व को नीचे लाने के लिए ट्रीटमेंट अच्छा हो, वायरस हमेशा से एक कदम आगे होता है, ऐसे में कोई भी देश पहले से तैयार नही होता है, लेकिन भारत सभी चीजों से लड़ने के लिए तैयार खड़ा था इसी के बदौलत हम आज इतने दिन तक टिक पाये, कोरोना का कहर आग की तरह बरपा है जिसे निकलने में वक़्त लगेगा।
कम संसधान में युद्ध लड़ना आसान नही होता है लेकिन मुस्किल भी नही, वैचारिक दृष्टि से हमे आपस मे सामंजस्य स्थापित करने की जरूरत है, घरों में रहना आसान नही है ,लेकिन आज चैन को तोड़ने के लिए घरों में रहना और नियमित दिनचर्या में जीवनयापन करने की आवश्यकता है।
इमरजेंसी होने पर ही घर से बाहर निकलना चाहिए नही तो जीतने समान है उसी में सर्वाइव करने की जरूरत है, हम जीवन के उस पड़ाव में है जहाँ मौत को हम खुद बुलाएंगे, ऐसे में कोरोना से लड़ने के लिए एक साथ खड़े होने की जरूरत है।
(अमित चन्द्रवंशी “सुपा”बीएससी अध्ययनरत कवर्धा, छत्तीसगढ़)