विचार

“डर और डर का सच”

आलेख-अमित चंद्रवंशी”सुपा”                                    ——–-–——–————————————————-

डर एक आंतरिक मामला है,जो खुद से होता है..

समय पर डरना स्वभाविक है, डर के बिना हमारा किसी भी चीजो पर कंट्रोल नही होगा,ऐसे में डर का भय होना जरूरी है। आज लोग डरे हुए है कोरोना का कहर आग की तरह फैल रहा है जिसे बुझाने के लिए तमाम कोशिश किये जा रहे है दुनिया के तमाम नामचीन डॉक्टर वैक्सीन या दवा बनाने में लगे हुए है।इसका परिणाम सार्थक होगा या नही समय बतायेगा।

कोरोना के डर से लोग आज घरों में कैद है, यह समझना होगा सोशल डिस्टेंस के महत्वो को समझने की जरूरत है, डर को मानसिक विकृतियों में नही रखा जाना चाहिए। मानसिक तनाव से डर होता है लेकिन वह भय तक सीमित होता है, मानव जीवन से मृत्यु तक कहीं न कहीं डर का अनुभव करता है।हम ऐसा सोचते है कि हम डरते नही है लेकिन सबकी एक न एक कमजोरी होती है वहाँ डर का सामना खुद-ब-खुद हो जाती है।

साइंस की दुनिया मे डर का अलग महत्व है, लोगो के विचारों पर निर्भर करता है, बहुत से लोग होते है, मौत के घाट उतारने वाले कि अलग अलग कहानी होती है। भय बना होता है,उनमें किसी को सीरियल किलर कहते है,तो किसी को सीक्वेंस किलर, इनके व्यवहार को पढ़ने की जरूरत है हम डर लगा रहता है कोई हमे लुटे न या हमे सुनसान रास्ते मे चलते वक़्त मार मत दे, यह घटना आज भी होती है जिसके पीछे मर्डरर की मानसिकता होती है कि उसकी अपब्रिंगिंग कैसी हुई है।

हमे विरासत में बहुत कुछ मिला है,उसमें एक डर भी मिला है, आज हम अगर डरके लॉक डाउन में घरों में नही बैठे होते तो शायद हम सकारात्मक संदिग्ध में अमेरिका व यूरोपीय देशों से आगे होते।

हमे दुनिया के साथ कदम मिलाने की आदत है लेकिन हम आज घरों में डर के अपनी कदम को रोके हुए हैं, क्योकि जान है तो जहान है।

अनुभवी लोग भी आज डरे हुए है, क्योंकि ऐसी कोई दवा नही बनी जो चैन को तोड़ पाये, ऐसे में डरके हम घरों में बैठे है वह सही है।

बर्बादी के बाद एक नई इबारत लिखी जाती है, क्या खोए क्या पाये यह अक्सर इतिहास में लिखी जाती है, तमाम संसाधन खत्म हो रही है,लेकिन हमें डरके शांत बैठने की जरूरत है।आज परिस्थितियां हमारे कंट्रोल से बाहर है क्योंकि वायरस हमेशा से एक कदम आगे रहता है। ऐसे में हमारी स्ट्रैटजी क्या होगी मुश्किलों से लड़ने के लिए यह मायने रखती है।

हमारी योजना प्रभावशाली होगी तो हम डर में काबू कर सकते लेकिन क्या डर में काबू करने से रास्ते आसान हो जाते है? दुनिया मे हम आते है इसलिए कि नए अनुभव हो। आज हम नावेल कोरोना वायरस से डर कर ही लड़ सकते है, लॉक डाउन का सही उपयोग करके लड़ सकते है और जीत सकते है।

(लेखक अमित चन्द्रवंशी “सुपा”बीएससी के छात्र हैं।यह विचार निजी है)

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