आर्थिक पैकेज किसानों के साथ धोखाधड़ी-किसान सभा
16 मई को देशव्यापी आंदोलन
रायपुर(khabarwarrior)छत्तीसगढ़ किसान सभा (सीजीकेएस) ने आरोप लगाया है कि केंद्र की मोदी सरकार ने आर्थिक पैकेज के नाम पर कृषि क्षेत्र में वर्तमान में चल रही योजनाओं व बजट प्रावधानों को ही रि-–पैकेजिंग करके पेश कर दिया गया है। यह किसानों और ग्रामीण गरीबों के साथ धोखाधड़ी के अलावा और कुछ नहीं है।
आज यहां जारी एक वक्तव्य में छग किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि इस समय असली चुनौती है ऐसे तात्कालिक कदमों को उठाना, जिससे आम जनता और ग्रामीणों की आजीविका को हुए नुकसान की भरपाई की जा सके, उसके जीवित रहने के लिए पर्याप्त भोजन का प्रबंध किया जा सके, ताकि उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बनाये रखा जा सके और प्रवासी मजदूरों को उनसे कोई किराया वसूले उनकी सुरक्षित घर वापसी हो सके। लेकिन इन आम जनता की इन फौरी जरूरतों को केंद्र सरकार ने अपने पैकेज से बाहर ही रखा है।
किसान सभा नेताओं ने कहा कि आर्थिक पैकेज के नाम पर जिस मुफ्त अनाज वितरण की घोषणा की गई है, उससे देश की आधी जनता बाहर है और सरकारी गोदामों में भरे आठ करोड़ टन खाद्यान्न का दसवां हिस्सा भी बाहर नहीं निकल रहा है। मनरेगा की हालत यह है कि रोजगार चाहने वाले देश मे पंजीकृत कुल परिवारों के दसवें हिस्से को ही अप्रैल में औसतन सात दिनों का काम मिला है और पूरा भुगतान अभी तक नहीं हुआ है।
स्वमीनाथन आयोग के अनुसार किसानों को लाभकारी समर्थन मूल्य देने और उन्हें बैंकिंग और साहूकारी कर्ज़ से मुक्त करने के बारे में सरकार ने लंबी चुप्पी ओढ़ रखी है, जबकि इसके बिना खेती-किसानी के संकट को हल नहीं किया जा सकता। प्रवासी मजदूरों को घर तक सुरक्षित पहुंचाने की कोई योजना केंद्र सरकार ने अभी तक नहीं बनाई है, जबकि लगभग 400 लोगों की मौत हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि राहत के नाम पर किसानों को बैंकिंग कर्जा लेने के लिए कहा जा रहा है और आधारभूत संरचना के निर्माण के नाम पर ऐसे दीर्घकालिक कदमों की घोषणा की जा रही है, जो न जाने कब पूरा होंगे! इसका यह भी अर्थ है कि अपने 6 सालों के राज में उसने बजट घोषणाओं के बावजूद इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि इस समय किसानों को बैंकिंग कर्ज़ के छींटे की नहीं, बल्कि फौरी नगद राहत और फसल की लाभकारी समर्थन मूल्य की जरूरत है, जबकि 20 लाख करोड रुपए के पैकेज में जनता को प्रत्यक्ष रूप से मात्र 30-35 हजार करोड़ रुपये ही हस्तांतरित किए गए हैं। यह निराशाजनक है और कोरोना संकट से तो लड़ने में मददगार नहीं है।
पराते ने कहा कि मोदी सरकार की खेती-किसानी को बर्बाद करने वाली और गरीबों और प्रवासी मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ कल पूरे देश के किसान आंदोलित रहेंगे। छत्तीसगढ़ में भी किसानों और आदिवासियों के बीच काम करने वाले 25 से ज्यादा संगठनों के झंडे तले सैकड़ों गांवों में किसान लामबंद होकर इन नीतियों का पुरजोर विरोध करेंगे।