छत्तीसगढ़

शासकीय भूमि के आवंटन में विपक्ष की आपत्ति, मारकण्डेय दायर करेंगे जनहित याचिका

रायपुर(khabarwarrior)छत्तीसगढ़ शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा 11 सितंबर 2019 को आदेश जारी कर नगरीय क्षेत्रों में अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन, शासकीय भूमि के आवंटन, आबंटन वार्षिक भू-भाटक के निर्धारण/वसूली प्रक्रिया के संबंध में राजस्व पुस्तक परिपत्र के वर्तमान प्रावधानों में व्यापक संशोधन  किया गया है।

 इस संबंध में आरंग के पूर्व विधायक एवं उच्च न्यायालय में अधिवक्ता नवीन मारकण्डेय ने अपना अभिमत देते हुए आरोप लगाया है कि उक्त आदेश पूर्णतः अस्पष्ट भ्रामक व त्रुटिपूर्ण है जो निश्चित रूप से शासन द्वारा भू माफियाओं को कानूनी समर्थन देने के उद्देश्य से कूट रचित है।

अधिवक्ता मारकण्डेय द्वारा राजस्व विभाग के इस आदेश की कई खामियों को बिंदुवार अवगत कराते हुए बताया गया है कि इस आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि नगरीय निकायों में स्वामित्व अधिकारों का अंत अधिनियम 1951 के लागू होने के बाद 1954 से 1957 के मध्य बनाए गए निस्तार पत्रक व अधिकार अभिलेख में विभिन्न प्रयोगों के लिए सुरक्षित शासकीय भूमि में से कितने प्रतिशत का आवंटन किसी व्यक्ति अथवा संस्था को किया जा सकेगा।

शासन द्वारा तैयार निस्तार पत्रक में यह स्पष्ट उल्लेखित है कि किसी नगर के कौन-कौन से खसरों को किस लोक प्रयोग के लिए सुरक्षित किया गया है जिसमें से चराई, आबादी, सिंचाई, सड़क, मुर्दा जानवर के चीर फाड़, शमशान, नगरसेवक, सराय, हाट बाजार, आमोद प्रमोद, जल स्रोत, व छोटे झुरमुट का जंगल आदि मद प्रमुख है। इन मदों की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है अतः लोक प्रयोग के लिए सुरक्षित इन भूखंडों को किसी व्यक्ति अथवा संस्था को आवंटित किया जाना लोक हित में नहीं है।

संबंधित आदेश की अन्य खामियों को गिनाते हुए बताया गया कि समस्त शासकीय भूखंडों का गाइडलाइन मूल्य बाजार मूल्य से कई गुना कम है जिसे शासन द्वारा और 30% कम कर दिया गया है। यदि किसी भूखंड के लिए केवल एक व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा मांग की जाती है जो प्रतिस्पर्धा के अभाव में भूखंड कौड़ियों के भाव में निजी हाथों में चली जाएगी।

भविष्य में लोकहित के निर्माण के लिए इन शासकीय भूमियों की फिर से आवश्यकता पड़ने पर इन्हें उस समय प्रचलित दरों पर दुगने कीमत पर अधिग्रहित करना पड़ेगा। यदि किसी व्यक्ति की निजी भूमि के सामने किसी को भूखंड का आवंटन कर दिया जाता है तो इससे स्वाभाविक तौर पर दो पक्षों में मार्ग के लिए विवाद की स्थिति निर्मित होगी। साथ ही अवैध कब्जा को प्रमाणित करने के लिए कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं होने के कारण भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिलेगा।

उक्त तथ्यों के आधार पर भाजपा के प्रदेश मंत्री व पूर्व विधायक नवीन मारकण्डेय ने आरोप लगाया है कि यह आदेश राज्य शासन द्वारा प्रायोजित भ्रष्टाचार है जो किसी वर्ग विशेष को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से जारी किया गया है। राज्य सरकार अपनी वित्तीय नाकामियों को छुपाने के लिए कुप्रबंधन की ओर अग्रसर है तथा लोक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर आमादा है।

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