ट्रेड यूनियनों ने मनाया देशव्यापी विरोध दिवस, दिया धरना-सरकार पर लगाया देश बेचने का आरोप

रायपुर(khabarwarrior)कोविड-19 के दौर में भाजपा के नेत्तृत्व वाली केंद्र सरकार कोरोना जैसे महामारी से लड़ने में जुटी देश की मेहनतकश जनता को राहत प्रदान करने कदम उठाने की बजाय इस दौर में भी इस संकट की आड़ लेकर देश की सम्पदा व मेहनतकश जनता के हितों की बलि चढ़ाकर देश बेचने में लगी है । एक ओर वह एटीएम आत्मनिर्भर भारत का नारा देती है दूसरी ओर इस आत्मनिर्भर भारत के बुनियाद सार्वजनिक क्षेत्र व प्राकृतिक संसाधन जिंदेशी विदेशी पूंजी के नियंत्रण में सौंपने बोली लगाती है ।
देश के समस्त केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने सरकार के इस जविरोधी हमलों के खिलाफ आज देशव्यापी विरोध दिवस मनाया और इसे रोकने की जबरदस्त मांग की ।
छत्तीसगढ़ में भी आज भिलाई,रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर, अंबिकापुर, जगदलपुर, राजनांदगांव, कांकेर, जशपुर,अंबिकापुर, बलरामपुर, महासमुंद, जिलों सहित पूरे प्रदेश के ब्लॉक मुख्यालयों में भी जबर्दस्त विरोध कार्यवाही आयोजित की गई ।
इंटक , एटक, सीटू, एकतू, एच एम एस, बैंक, बीमा, राज्य व केंद्र कर्मचारी, बी एस एन एल यूनियन व अन्य स्वतंत्र फेडरेशन ने यह आव्हान किया था ।
इंटक के अध्यक्ष संजय सिंह, एटक महासचिव हरनाथ सिंह, सीटू के अध्यक्ष बी सान्याल, महासचिव एम् के नंदी, एच एम एस के कार्यकारी अध्यक्ष एच एस मिश्रा, एकटू महासचिव बृजेन्द्र तिवारी, सी जेड आई ई ए के महासचिव धर्मराज महापात्र, बैंक कर्मी नेता शिरीष नलगोंडवार, डी के सरकार, वी एस एन एल ई यू के महासचिव आर एस भट्ट, बीमा कर्मी नेता सुरेन्द्र शर्मा, तृतीय वर्ग कर्म संघ अध्यक्ष राकेश साहू, केंद्रीय कर्मचारियों के नेता दिनेश पटेल, मानिक राम पुराम,आशुतोष सिंह, राजेन्द्र सिंह, संयुक्त ट्रेड यूनियन कौंसिल के सचिव एस सी भट्टाचार्य ने एक संयुक्त विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना संकट का सबसे बड़ा प्रभाव देश के मजदूरों पर पड़ा है, तालाबंदी से 120 मिलियन मजदूरों के हाथ से रोजगार चला गया । यह संख्या बढ़ती ही जा रही है ।
प्रवासी मजदूरों की दशा तो शब्दों में बयां नहीं की का सकती, लोग सड़कों पर दम तोड़ रहे थे और राज्य खामोश था । यह अमानवीयता मोदी सरकार की दिन है । सरकार राहत देने के बदले लंबे संघर्षो के बाद हासिल किये गए मजदूरों के अधिकारों को खत्म कर काम के घंटे 8 से बढ़कर 12 करने का फरमान जारी कर रही है । सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का विनिवेश करने तथा थोक में उनका निजीकरण करने रेलवे, प्रतिरक्षा, गोदी तथा बंदरगाह, कोयला, एयर इंडिया, बैंको, बीमा आदि रणनीतिक क्षेत्रों में में 100 प्रतिशत विदेशी पूंजी का आमंत्रण देश के राजनीतिक स्वंत्रता को गी दांव पर लगा देने का कदम है ।
भाजपा के आत्मनिर्भर नारे के पीछे उसका इरादा संसाधनो और देश के व्यापार को हड़पने के लिए भारतीय तथा विदेशी ब्रांड के कॉर्पोरेट घराने के पक्ष में कदम उठाना है | 47 कोयला खदानों की नीलामी भी इसका उदाहरण है प्रदेश के 9 कोल ब्लॉक भी उसमें शामिल है कोयला मजदूर 2 जुलाई से 72 घंटे की हड़ताल पर है, आजनदुरे दिन भी यह ऐतिहासिक रूप से जारी है । नेताओ ने कोयला मजदूरों का अभिनन्दन किया ।
केंद्र सरकार के केंद्र कर्मचारियों और पेंशनधारियो के महगाई भत्ते रोक रही है । केंद्र सरकार का 20 लाख करोड़ का पैकेज पीड़ित लोगो के साथ एक धोखा और क्रुर मजाक है क्योंकि इसमें मुख्यत: विभिन्न क्षेत्रों के लिए केवल ऋण की गारंटी है| उसी प्रकार कामर्शियल माइनिंग का गैर क़ानूनी और राष्ट्रविरोधी फैसला इस सरकार के मंसूबे को स्पष्ट करता है।
ट्रेड यूनियनों ने आज के आंदोलन के जरिए सभी गैर आयकरदाता को 7500/- की आगामी छह माह भुगतान करने, सभी जरूरतमंदो को आगामी छह माह 10 किलो प्रतीव्यक्ती मुफ्त अनाज देने, अग्रिम पंक्ति के आंगनवाड़ी , मितानिन, स्वास्थ्य कर्मी, सफाई कर्मी को 10 हजार रूपए विशेष भत्ता व 50 लाख का बीमा कवरेज उन्हें भी दिए जाने, प्रवासी मजदूर के रोजगार, भीजन जी व्यवस्था कर मनरेगा में 200 दिन 600/- प्रतिदिन मजदूरी के साथ देने, शहरी गरीबों के लिए इसका विस्तार करने, बेरोजगार को बेरोजगारी भत्ता देने, श्रम कानून बदलाव वापस लेने, कृषि कानून में बदलाव अध्यादेश वापसी, निजीकरण की नीति तत्काल बंद करने की मांग की ।
धरने में सभी संगठनों के प्रमुख रूप से बी सान्याल, एम के नंदी, धर्मराज महापात्र, एस सी भट्टाचार्य, राकेश साहू, सौरा यादव, तुहिन देव, अतुल देशमुख, सुरेन्द्र शर्मा, अलेक्जेंडर तिर्की,गंगा साहू, गीता पंडित, बी के ठाकुर, के के साहू, टी के मिश्रा, हिरामन वैष्णव, मारुति डोंगरे, प्रदीप गभ्ने, नवीन गुप्ता, अजय,, मनीष होनाप, निसर अली शामिल थे ।