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राजीव गांधी फाउंडेशन समेत तीन ट्रस्ट की होगी जांच, गृह मंत्रालय ने गठित की समिति

दिल्ली(khabarwarrior)राजीव गांधी फाउंडेशन की फंडिंग को लेकर उठ रहे सवालों के बीच सरकार ने इसकी फंडिंग को लेकर एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार मंत्रालय ने एक अंतर-मंत्रालय कमेटी का गठन किया है, जो कि राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की जांच करेगी।

अंतर-मंत्रालयी टीम की जांच के दायरे में राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा किया गया कानूनों का उल्लंघन भी होगा। यह समिति पीएमएलए, आयकर अधिनियम, एफसीआरए आदि के विभिन्न कानूनी प्रावधानों के नियमों के उल्लंघन की जांच करेगी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के विशेष निदेशक समिति का जिम्मा संभालेंगे।

क्या है राजीव गांधी फाउंडेशन, जिस पर BJP ने लगाया चीन से फंडिंग का आरोप

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राजीव गांधी फाउंडेशन पर चीन से फंडिग लेने का दावा किया है।

जानते हैं क्या है राजीव गांधी फाउंडेशन क्यों, कब और किसलिए हुआ इस संस्था का गठन, क्या होता है काम।

राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के विज़न को पूरा करने के लिए साल 1991 में की गई थी. फाउंडेशन की ऑफिश‍ियल वेबसाइट rgfindia.org पर दी गई जानकारी के अनुसार 1991 से 2009 तक फाउंडेशन ने स्वास्थ्य, साक्षरता, स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिला और बाल विकास, निःशक्तजनों को सहायता, पंचायती राज संस्थाओं, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, और पुस्तकालयों सहित कई व्यापक मुद्दों पर काम किया है.

फाउंडेशन ने साल 2011 में आगे बढ़ते हुए प्रमुख रूप से शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया. इसके अलावा, फाउंडेशन ने पहले से ही चलाए जा रहे अपने प्रमुख कार्यक्रमों को जारी रखा है, जैसे- इंटरैक्ट (संघर्ष से प्रभावित बच्चों को शैक्षिक सहायता प्रदान करने का कार्यक्रम), राजीव गांधी एक्सेस टू ऑपॉर्च्युनिटीज़ कार्यक्रम (शारीरिक रूप से निशक्त युवाओं की गतिशीलता बढ़ाने का कार्यक्रम), राजीव गांधी कैम्ब्रिज स्कॉलरशिप प्रोग्राम (मेधावी भारतीय छात्र-छात्राओं को कैंब्रिज में पढ़ने हेतु वित्तीय सहायता), प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (ग्राम गौरव कार्यक्रम को सहायता) और वंडरूम (बच्चों के लिए एक अभिनव पुस्तकालय को सहायता) इत्यादि.

इस फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं. वहीं न्यासीगणों में डॉ. मनमोहन सिंह, पी. चिदंबरम, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे, राहुल गांधी, डॉ. शेखर राहा, प्रो एम. एस. स्वामीनाथन, डॉ. अशोक गांगुली, संजीव गोयनका और प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम है।

21 जून, 1991 को राजीव गांधी फाउंडेशन की स्थापना के साथ ही पांच क्षेत्रों में काम करने का निर्णय लिया गया. इसके बाद अगस्त, 1991 में राजीव गांधी इंस्टिट्यूट्स ऑफ कंटेपरेरी स्टडीज़ (आरजीआईसीएस) के रूप में एक थिंक टैंक की स्थापना हुई. न्याय पंचायतों की व्यवहार्यता का अध्ययन इसकी पहली परियोजनाओं में से एक थी. फिर नई दिल्ली स्थित जवाहर भवन में कार्यालय की स्थापना की गई.

व्हीलचेयर, बैसाखी और बधिरों के लिए सुनने का उपकरण जैसी 1 लाख रुपये मूल्य के उपकरण इन प्रत्येक संगोष्ठियों में निशक्त बच्चों के बीच वितरित किए गए. जनवरी 1991 में साक्षरता प्रकोष्ठ का गठन किया गया. ऐसे तमाम कार्यों के साथ भारत के कई हिस्सों में ग्रामीण परिवारों को खेती के लिए फलों के पेड़ और बीज वितरित करने हेतु ‘ट्री फॉर लाइफ’ संस्था के साथ सहयोग लिया गया.

फाउंडेशन ने उत्तरकाशी भूकंप पीड़ितों के लिए राहत: 5.56 लाख रुपये की राहत सामग्री बूढ़ा केदार ब्लॉक और जठोली ब्लॉक के 100 परिवारों को बांटे. रेलगाड़ी में अस्पताल की अवधारणा के रूप में ‘लाइफ लाइन एक्सप्रेस’ विकसित की गई जिसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे फ्लैग स्टेशन पर मुफ्त चिकित्सा देखभाल की सुविधा प्रदान की जाती थी. ‘इम्पैक्ट इंडिया फाउंडेशन’ के सहयोग से लाइफ लाइन एक्सप्रेस का एक फ़्लैग स्टेशन अमेठी में भी रखा गया.

कानून मंत्री का आरोप

इस तरह संस्था हर साल ऐसे कई आयोजन कराती आ रही है. बता दें कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दावा करते हुए कहा है कि चीन ने राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए फंडिंग की है। कानून मंत्री ने कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन ने पैसे दिए , कांग्रेस ये बताए कि ये प्रेम कैसे बढ़ गया, इनके कार्यकाल में ही चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा किया. एक कानून है जिसके तहत कोई भी पार्टी बिना सरकार की अनुमति के विदेश से पैसा नहीं ले सकती. कांग्रेस स्पष्ट करे कि इस डोनेशन के लिए क्या सरकार से मंजूरी ली गई थी?

उन्होंने कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए डोनर की सूची है 2005-06 की. इसमें चीन के एम्बेसी ने डोनेट किया ऐसा साफ लिखा है।

ऐसा क्यों हुआ? क्या जरूरत पड़ी?

इसमें कई उद्योगपतियों,पीएसयू का भी नाम है क्या ये काफी नहीं था कि चीन एम्बेसी से भी रिश्वत लेनी पड़ी।उन्होंने दावा किया कि चीन से फाउंडेशन को 90 लाख की फंडिंग की गई।

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