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भारतरत्न जेपी की प्रतिमा हटाने की बात हुई तो होगा राजघाट तक आंदोलन

भिलाई नगर (खबर वारियर) लोकनायक जयप्रकाश नारायण प्रतिष्ठान भिलाई ने सुपेला-सेक्टर-6 रेलवे समपार (क्रासिंग) पर प्रस्तावित अंडरब्रिज को लेकर आपत्ति जताई है। प्रतिष्ठान के अध्यक्ष आर पी शर्मा ने कहा है कि उन्हें अभी तक किसी तरह के अंडर ब्रिज निर्माण की सूचना औपचारिक तौर पर नहीं दी गई है,सिर्फ पुलिस प्रशासन ने बुलाकर मौखिक जानकारी दी है। जिससे प्रतीत होता है कि रेलवे प्रशासन यहां 32 वर्ष पूर्व स्थापित भारतरत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण की भव्य प्रतिमा को हटाना चाहता है। जिसके लिए प्रशासनिक पत्राचार चल रहा है।

प्रतिष्ठान के अध्यक्ष आर पी शर्मा ने कहा है कि रेलवे, जिला प्रशासन या भिलाई स्टील प्लांट अथवा शासन-प्रशासन के किसी भी अंग द्वारा भारत रत्न जेपी की प्रतिमा हटाने किसी भी तरह की पहल की गई तो इसके विरोध में देशव्यापी आंदोलन करेंगे। जिसमें राजघाट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक आंदोलन किया जाएगा।

आरपी शर्मा ने जारी बयान में कहा कि उन्होंने इस संबंध में भारतीय रेलवे, दुर्ग जिला प्रशासन व छत्तीसगढ़ शासन को पत्र के माध्यम से अवगत करा दिया है। उन्होंने बताया कि साउथ इस्टर्न सेंट्रल रेलवे के डिप्टी चीफ इंजीनियर के 10 जून 2021 के पत्र से स्पष्ट है कि रेलवे क्रासिंग सुपेला के समक्ष 32 वर्ष पूर्व स्थापित भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण की भव्य प्रतिमा को हटाया जा रहा है।

अध्यक्ष शर्मा ने स्पष्ट किया है कि कि जेपी की प्रतिमा रेलवे की भूमि पर काबिज नहीं है। उन्होंने बताया कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण स्मारक प्रतिमा स्थापना समिति ने सिक्सट्री एवेन्यू रोड नंबर-3 जंक्शन के चौक पर प्रतिमा स्थापना हेतु भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन से समस्त औपचारिकताएं पूरी की है। जिसमें बीएसपी प्रबंधन को पत्र क्रमांक सु.न.प्र.(सी)/प्रतिमा स्था/91/25 भिलाई, दिनांक 23/24 जनवरी 1991 दिया गया था। जिसमें प्रतिमा स्थापना हेतु तत्कालीन प्रधानमंत्री माननीय चंद्रशेखर जी द्वारा व्यक्तिगत रूप से तत्कालीन इस्पात एवं खान मंत्री अशोक कुमार सेन को 4 दिसंबर 1990 को पत्र लिखा गया था।इसके उपरांत इस्पात एवं खान मंत्री अशोक सेन ने 6 दिसंबर 1990 को माननीय प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी को लिखे पत्र में मामले के परीक्षण की जानकारी दी थी।

इसके उपरांत भिलाई इस्पात संयंत्र ने पत्र क्रमांक सु.न.प्र.(सी)/प्रतिमा स्था/91/25 भिलाई, दिनांक 23/24 जनवरी 1991 के माध्यम से प्रतिमा स्थापना हेतु मंजूरी (अनापत्ति प्रमाण पत्र-एनओसी) जारी की। इसके बाद सौंदर्यीकरण हेतु भिलाई स्टील प्लांट के मुख्य नगर प्रशासक की ओर से क्र.मु. न.प्र./प्र.स्था/91/28 भिलाई दिनांक 25 मार्च 91 के माध्यम से प्रतिमा स्थापना हेतु आवश्यक कार्रवाई शुरू की गई।

इसके उपरांत माननीय प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी के हाथों भिलाई में भारतरत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा का भव्य अनावरण 9 जून 1991 को हुआ।

अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि इस संबंध में हमारी आपत्ति यह है कि साउथ इस्टर्न सेंट्रल रेलवे की ओर से समपार (क्रासिंग) की जगह रेलवे अंडर ब्रिज बनाए जाने की स्थिति में भारतरत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा हटाए जाने के प्रस्ताव के संबंध में लोकनायक जयप्रकाश नारायण प्रतिष्ठान को किसी भी तरह की औपचारिक सूचना नहीं दी गई। ना ही कोई पत्र रेलवे की तरफ से मिला। हमें कोतवाली थाना सेक्टर-6 भिलाई प्रभारी की मौखिक सूचना पर सारी जानकारी मिली। जिस पर हमें आपत्ति है। शहर में 32 साल से स्थापित भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा हटाए जाने का हम कड़ा विरोध करते हैं।

उन्होंने कहा कि हमारी समिति का मानना है कि यहां प्रतिमा हटाए जाने का कोई औचित्य नहीं है। जबकि प्रतिमा स्थल से थोड़ी ही दूर पर जिसमें सुपेला समपार (क्रमांक 442) के दोनों ओर सेक्टर-6, मौर्या टाकीज और पावर हाउस में पहले से ही अंडरब्रिज मौजूद है। यदि समिति की इस मांग को नजर अंदाज किया गया तो समिति यह मामला माननीय राष्ट्रपति और माननीय प्रधानमंत्री, समस्त सांसदों से लेकर न्यायपालिका के समक्ष विरोध दर्ज कराने और न्याय मांगने से पीछे नहीं हटेगी। इसके विरोध में हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर भी आंदोलन करेंगे।

शर्मा ने कहा कि यह सुस्थापित तथ्य है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बाद स्वतंत्र भारत में लोकनायक जयप्रकाश नारायण सर्वाधिक सम्माननीय नेतृत्वकर्ता रहे हैं। भारत रत्न की उपाधि से विभूषित इस व्यक्तित्व की प्रतिमा को हटाने का कोई औचित्य नहीं है।

शर्मा ने विशेष रूप से उल्लेख किया है कि प्रतिमा स्थापना के दौरान उनकी समिति ने भी 8 लाख रुपए खर्च किए थे और माननीय प्रधानमंत्री के कार्यालय से इसका नक्शा पास हुआ था और शेष निधि भी वहीं से उपलब्ध कराई गई थी।

उन्होंने कहा कि जब पूर्व में ही भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन ने एनओसी प्रदान कर दी है,तब नए सिरे से यहां अनापत्ति का कोई औचित्य नहीं है। अगर यह प्रतिमा हटाई जाती है तो इस क्षेत्र का सौंदर्य बिगड़ जाएगा। यहां से सुपेला व सेक्टर-6 की ओर का व्यापार भी ठप हो जाएगा। रेलवे चाहे तो प्रतिमा स्थल से थोड़ी दूरी पर अंडर/ओवर ब्रिज बना सकती है।

यदि हमारे पत्र और विरोध के बावजूद प्रतिमा को हटाने का फैसला होता है तो इसके विरोध में हम लोकतांत्रिक ढंग से अपनी आवाज उठाने से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि जब नेहरू नगर ओवर ब्रिज और चंद्रा-मौर्या अंडरब्रिज को प्रस्तावित स्थल से अलग हट कर बनाया जा सकता है तो सुपेला में भी ऐसा हो सकता है। उन्होंने मांग उठाई है कि रेलवे प्रशासन हमारे पत्र पर बगैर किसी राजनीतिक दबाव में आए सम्मानजनक फैसला करे।

उन्होंने आग्रह किया है कि सुपेला समपार में रेलवे अंडर ब्रिज के संबंध में भारतीय रेलवे, दुर्ग जिला प्रशासन, भिलाई स्टील प्लांट मैनेजमेंट और छत्तीसगढ़ शासन के मध्य जो पत्र व्यवहार हो रहा है, उसकी प्रतिलिपि भी उपलब्ध कराई जाए।

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