छत्तीसगढ़

मनरेगा कर्मचारियों के हड़ताल से छग में जीरो लेबर दिवस,16 वर्षों का रिकार्ड टूटा

रायपुर (खबर वारियर) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार अधिनियम(मनरेगा) 2006 से जो लागू होने के बाद से यह पहला अवसर है कि पूरे छग में मनरेगा के अंर्तगत किसी भी ग्राम पंचायत में एक भी मजदूरों को काम नही मिला।

विगत 4 अप्रैल से मनरेगा अधिकारी कर्मचारी ग्राम रोजगार सहायक मनरेगा महासंघ के नेतृत्व में हड़ताल पर है।विगत 1 अप्रैल से ही लाखों की संख्या में काम देने वाले योजना में मजदूर संख्या 4 अंकों में आ गिरी थी जो तीन दो करते करते आज पूर्णतया (शून्य)जीरो दिवस के रूप में इतिहास बना लिया।जबकि पिछले वर्ष भीषण कोरोना काल मे भी अप्रेल मई के महीने में लाखों लोगों को रोजगार देकर इन्ही मनरेगा कर्मचारियों ने कीर्तिमान स्थापित किया था।जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा में विभिन्न श्रेणीयों में छग सरकार को पुरुस्कार भी मिला।

मनरेगा महासंघ अपने दो सूत्रीय मांग पहला जनघोषणा पत्र को आत्मसात करते हुवे समस्त मनरेगा अधिकारी/कर्मचारी/ग्राम रोज़गार सहायको का नियमितीकरण एवमं दूसरा ग्राम रोजगार सहायकों का वेतनमान निर्धारण कर समस्त मनरेगा कर्मचारियों पर 1966 पंचायती अधिनियम लागू करने को लेकर अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन जिला व ब्लॉक मुख्यालयों में कर रहे है।

पांव पर पड़े छाले फिर भी हौसला हिमालय से लेना है जो नियमितीकरण

विगत 12 अप्रेल से दंतेवाड़ा से दांडी मार्च के रूप में अधिकारी कर्मचारीओ व ग्राम रोजगार सहायकों का जत्था पैदल रायपुर के लिए निकल चुके है जिनका कारवां राजधानी रायपुर की ओर बढ़ते जा रहे है और सँख्या भी बढ़ते जा रही है।दांडी यात्रा में शामिल यात्रिओ के पैरों में छाले पड़ गए है भर भी हौसला बुलंद कर अपने मांग पर अडिग चलते जा रहे है।।

मुख्यमंत्री केंद्र के कर्मचारी कहकर झाड़ रहे है पल्ला

विभिन्न जिलों पर दौरे व कार्यक्रम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने पर वे मनरेगा केंद्र की योजना है आप लोग केंद्र के कर्मचारी हो कहकर आंदोलनकारियों को बैरंग लौटा रहे है। जबकि सभी योजनाओं चाहें वह केंद्र प्रवर्तित हो या राज्यों के अधिकारी कर्मचारियों की नियुक्ति वेतन भत्ते, कार्य की प्रवित्ति का निर्णय राज्य सरकार ही करती आ रही है।
मनरेगा भी ठीक वैसे ही है जैसे कि अन्य योजनाएं, जबकि मनरेगा योजनाओं से हटकर एक अधिनियम है।जिसके अनुसार पंजीकृत मजदूरों को 100 दिवस रोजगार की गारंटी दिया गया है।

केंद्र की योजना के कर्मचारी केंद्रीय है तो हमारा नेतृत्व करें मुख्यमंत्री

अगर मनरेगा के अधिकारी कर्मचारी मात्र अधिनियम के केंद्रीय वित्त पोषण से केंद्रीय कर्मचारी या केंद्र का मामला हो जाता है तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी को मुखर होकर मनरेगा कर्मचरियों  के आंदोलन का नेतृत्व करते हुवे दिल्ली तक बात पहुंचानी चाहिए।क्योंकि योजना कही की हो मनरेगा अधिकारी कर्मचारी छग के ही नागरिक व मतदाता है।

गरीब मजदूर हुए बेरोजगार

राज्य सरकार के आला अधिकारियों व राज्य सरकार के हठधर्मिता के कारण लाखों पंजीकृत मजदूर मजबूर होकर घर बैठ गए है।या पलायन को मजबूर है।जिसकी जिम्मेदारी मनरेगा विभाग में बैठे उच्च अधिकारी माननीय पंचायत मंत्री टी एस सिंहदेव व छग के मुखिया होने के नाते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ही है, जो पिछले 14 दिन से जारी हड़ताल को समाप्त करवाने किसी भी प्रकार की पहल नहीं कर रहे है।

आगे और उग्र होगा आंदोलन

मनरेगा महासंघ के जिला व ब्लॉक पदाधिकारियों ने चर्चा में बताया कि प्रतिदिन अलग अलग गतिविधियों से हड़ताल करके वे अपना धरना प्रदर्शन जारी रखे है।प्रान्त स्तर से जो दिशा निर्देश मिलता है उसके अनुसार आगामी समय मे हड़ताल के और उग्र होने की आशंका है।जिसकी सम्पूर्ण जवाबदारी शासन की ही होगी।

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