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किसानों की महापंचायत में  सरकार के खिलाफ आया निंदा प्रस्ताव,धान खरीदी पर किसानों को राजनीतिक मोहरा न बनाने  सरकारों को किया आगाह

धार्मिक, राजनीतिक या जाति के पहचान से परे हटकर किसान बनकर करें वोट

दुर्ग (खबर वारियर) छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन द्वारा 1 अक्टूबर को दुर्ग के नगपुरा में प्रदेश स्तरीय किसान महापंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें परंपरागत खेती करने वाले हजारों किसानों के अलावा उद्यानिकी, पोल्ट्री, डेयरी, फिशरी किसान संगठन के सैंकड़ों प्रतिनिधियों ने भाग लिया। किसानों की महापंचायत में कृषि और किसानों की सभी समस्याओं पर गहनता से चर्चा की गई।

किसान महापंचायत की शुरुआत छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा अर्चना के सांथ राज्य गीत के गायन से की गई।  प्रथम सत्र की सुरुआत में  कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि  अर्पित की गई।

पहले खुले सत्र में किसानों ने महापंचायत में अपनी बात को बेबाकी से रखा। किसानों ने मुख्य रूप से खुले मवेशियों के कारण फसल को होने वाली क्षति, सिंचाई, बिजली, खाद, बीज, दवा, उपज के लाभकारी मूल्य, कुक्कुट पालन, दुग्ध उत्पादन, सब्जी उत्पादन में आने वाले समस्याओं को रखा।

किसान महापंचायत के दूसरे सत्र में किसानों द्वारा रखे गए कृषि और किसानी की समस्याओं के अलावा राज्य सरकार की कृषि नीति, कार्यक्रम और योजनाओं पर विचार किया गया और अनेक निर्णय लिए गए ।

किसानों की महापंचायत में 2 साल का बकाया बोनस देने, चना गेहूं आदि की सरकारी खरीद करने, सिंचाई सुविधा बढ़ाने, किसान पेंशन लागू करने आदि चुनावी वायदों को पूरा नहीं करने पर राज्य सरकार की निंदा की गई, और सरकार बनाने की मंशा रखने वाले दलों को आगाह किया गया कि वे ऐसा वायदा करने से परहेज़ करें जिन्हें सरकार बनाने पर पूरी न कर सके।किसान महापंचायत में धान खरीदी की मात्रा के विवाद पर केंद्र और राज्य की सरकारों को आगाह किया गया कि वे किसानों को राजनीतिक मोहरा न बनाएं।

 

राज्य विधानसभा के आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए किसानों की महापंचायत में सरकार बनाने की मंशा रखने वाले दलों के लिए एजेंडा भी निर्धारित किया गया, जिसमें कहा गया है कि आने वाली सरकार को धान सहित अनाज, दलहन तिलहन आदि का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर एक एक दाना खरीदी करने का भरोसा देना चाहिए, बाजार की मंहगाई को ध्यान में रखते हुए किसान न्याय योजना में इनपुट राशि को बढ़ाकर कम से कम दो गुना करने की घोषणा करना चाहिए।

किसानों की महापंचायत में उक्त प्रस्तावों के अलावा  अन्य प्रस्ताव भी पारित किए गए, जिसमें कहा गया है कि किसानों और ग्रामीण आबादी को ध्यान में रखते हुए राज्य की बजट की 50% राशि कृषि और ग्रामीण विकास के लिए आबंटित किया जाना चाहिए, इसके अलावा यूपी की तर्ज पर गो पालन योजना लागू करने, नदी नाले में व्यर्थ बहने वाले पानी को सिंचाई में उपयोग करने के लिए लिफ्ट इरीगेशन योजना के माध्यम से आस पास के गांव में सिंचाई जलाशय में एकत्रित करने, हर समिति में अनाज बैंक स्थापित करने जहां किसान अनाज दलहन, तिलहन आदि जमा करके अपनी जरूरत की राशि ले सके।

बीमा योजना में निर्धारित उपज से अधिक उपज उत्पादन के लिए भी बीमा योजना लागू करने, रीपा को गोठान से अलग करके दाल और तेल उत्पादन करने, मनरेगा को कृषि से जोड़ने के लिए किसानों की मांग पर मजदूर उपलब्ध कराने, बिना टेस्ट रिपोर्ट के दवा,खाद, बीज आदि की बिक्री पर रोक लगाने आदि मुद्दों को शामिल किया गया है।

किसानों की महापंचायत में धान खरीदी के लिए बायोमेट्रिक पहचान को अनिवार्य करने से किसानों को होने वाली परेशानियों की चिंता करते हुए कहा गया है कि सरकार को कृषि और किसानों से संबंधित निर्णय लेने से पहले किसानों को विश्वास में लेकर ऐसा करना चाहिए।

किसान महापंचायत ने किसानों से अपील किया है कि वे धर्म, जाति या राजनीतिक पहचान से परे सिर्फ किसान पहचान के आधार पर ही वोट करें।

सरकारों को किया आगाह,बढ़ी  राजनीतिक दलों की चिंताएं

प्रदेश स्तरीय किसान महापंचायत में सरकार के खिलाफ आए निंदा प्रस्ताव से सरकार व राजनीयिक पार्टीयों की चिंताएं व घोषणा पत्र में किसानों के एजेंडों को लेकर  सरगर्मियां बढ़ गई है। किसान अब सिर्फ धान खरीदी व बोनस से संतुष्ट नहीं होने वाले हैं,आने वाले समय मे कृषि व किसानों से संबंधित अनेकों विषयों पर जोर देकर काम करने की जरूरत होगी ।किसानों के एजेंडों को देखें तो एक पूर्ण नीति तैयार कर कृषि व किसान पर काम करने की  महती आवश्यकता तो महसूस होती है।

आगामी विधान सभा के चुनाव को देखते हुए किसान महापंचायत में लिए गए निर्णयों से राजनीतिक दलों की चिन्ताएं बढ़ गई है, और घोषणा पत्र में किसानों के एजेंडों को लेकर गहन विचार विमर्श होने लगा है।अब आगे ये देखना होगा कि प्रदेश में किसानों और कृषि पर  राजनीति करने वाली पार्टियां किसानों की बातों व मांगों को कितनी गंभीरता से लेते हैं,और  उन्हें साधने में कितना सफल होते हैं।

 

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