विचार

दुनिया ल काबू करके मनखे के सोंच

“दुनिया ल काबू करके,मनखे के सोंच”

रायपुर(खबर वारियर)कहना उचित नइ होही फेर जीवन के फेरबदल ल कोई नई जानय, बेरा के रूपरेखा ल कोई समझ नई सकय कब का हो जही कोई नई जानय। मनखे मन विकास के अब्बड़ परिभासा गढ़े हवय फेर कुछु कुछु घटना के परिभासा के रूपरेखा ल विभक्त कर दे हवय।

मैं अपन जिनगी के दु दसक म राजनीति म खुर्सी के पहरेदार ल बदलत देखे हंव त इकीसवीं सदी के विकास संग दुनिया म कदम रखे हंव, नवा उपकरण, नवा प्रौद्योगिकी अब्बड़ अकन विकास होय हवय।

वास्तविक परिभासा के रूप बदलत जात हवय, आज विश्व ह अब्बड़ जड़ वायरस ले गुजरत हवय, जेखर चेन ह सबो देस के सीमा ल नई छोड़त हे, नवा सोच के साथ नवा बिहान होथे फेर ये बछर के नवा बिहान म हमन कोविड ले लढत हवन, जिनगी के नवा आयाम स्थापित करके सपना ह हमर विकास के परिभासा ल बदल दे हवय।

इकीसवीं सदी के दु दसक के अंत म हवन वही पूरा बिस्व ह महामारी ले जुझत हवय, मंगल म बसे के सपना आज सार्थक होही धन नई होही बाद के बात हरय कोरोना के चेन ह कइसे टुटही एखर बर पूरा बिस्व ह लगे हवय, नवा नवा परीक्षण होवत हवय किट बनाये जात हवय जांच बर, इलाज के पूरा कोसिस करे जात हवय, संक्रमित होने वाले के संख्या बढ़त जात हवय त मरने वाला मन के संख्या तको बढ़त जात हवय, कोई रोक नई लगत हवय, पूरा बिस्व ह रुके हवय, सब अपन अपन ठउर म कैद हवय, डॉक्टर मन अपन पूरा कोसिस करत हवय, महामारी ले बचे के हर सम्भव कोसिस करे जात हवय।

दुनिया ल मुट्ठी म करे के चाहत ह मनखे ल विनास के ओर ढकेल दे हवय,

मनखे मनखे एक समान के परिभासा वसुधैव कुटुम्बकम के भावना सब म विधमान हवय सम्पूर्ण बिस्व एक परिवार के कल्पना जहाँ सकार होवत रिहिस हवय ऊँहे मनखे कल्पना के संग खो गय, फेर विकास के परिभासा सन काय करन काय नही ल आज भुलागे हवन।

आपदा ह बेरा बताके नई आवय कोई भी रूप म आ जथे हमर योजना निपटे के अलग अलग रूप म होथे, अब्बड़ अकन आपदा ले निपटे के योजना हवय फेर ये महामारी ले हमन अपन आप ल घर म कैद करके ही चेन ल टोर सकत हवन जबतक वैक्सीन नई बनहि तब तक मनखे ल संघर्ष करे के जरूरत हवय मनखे मन ल सुप्रीम पावर ल स्मरण करना चाही, अउ सकारात्मक सोच रखना चाही।

अपन दिमाग ल आध्यात्म म लगाना चाही, अपन इम्युनिटी ल बढ़ाना चाही एखर बर योगा करे जा सकत हवय, जीवन के ये बेरा म अपन मन ल मजबूत रखे के जरूरत हवय, खानपान ल नियत जारी रखे के जरूरत हवय, धैर्य के साथ अपन आप ल महामारी ले लड़े के जरूरत हवय।

परिस्थितियां कैसे भी हो, येला निकले जा सकत हवय सरीर के संगे संग मनखे के मन ह तक मजबूत होना चाही, कोई समस्या बताके नई आवय एखर ले हमन ल खुद निपटे बर पढ़ही कहिके आत्मविश्वास के साथ अपन कार्य ल अंजाम देना चाही।

दुनिया के परिभासा संग चले बर अपन आप ल ये रुप म ढाले बर पढ़हि अपन आप ल सुरक्षित रखव, महामारी ले बचे के प्रयास करव, जिनगी म उतार चढ़ाव आथे ये ह सत्य हरय, अपन आप ल सजग करे के जरूरत हवय तभे हमन जीवन म अपन भविष्य ल देख सकत हवन।

मानवीय संवेदना ल बखान करना जरूरी हवय, फेर आज बिस्व ह महामारी ले लड़त हवय त बीसवीं सदी इतिहास ल याद करना जरूरी हवय, जब जब महामारी आय हवय तेन ल याद करे के जरूरत हवय इतिहास ह साक्षी हरय।

इकीसवीं सदी के तीसरा दसक म हमन जाने वाला हवन दु दसक म अब्बड़ बदलाव होय हवय, प्रकृति संग हमन ल अलग नही हमन ल संतुलन बनाये के जरूरत हवय तभे जाके हमन विकास संग सफल जिनगी लिख सकत हवन।

आलेख-अमित चन्द्रवंशी “सुपा”-8085686829

(लेखक बीएससी के छात्र हैं, तथा यह इनके निजी विचार हैं)

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