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“कही-सुनी”:- वरिष्ठ पत्रकार रवि भोई की कलम से

( 04 JULY-21)

“कही-सुनी”

     रवि भोई 🖋️🖋️


शिकारी ही बन गया शिकार

राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो और एंटी करप्शन ब्यूरो के मुखिया के नाते साल भर पहले भ्रस्ट अफसरों के यहां छापा डलवाने वाले अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह पद से हटे तो खुद ही ट्रैप हो गए। याने “शिकारी ही शिकार” बन गया। कहा जा रहा है पुलिस के एडीजी स्तर के अफसर के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई से राज्य की नौकरशाही हिल गई है, वहीँ प्रशासन में भूपेश सरकार के सख्त तेवर का संदेश भी चला गया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ही जीपी सिंह को ईओडब्लू और एसीबी का प्रमुख बनाया था और लक्ष्य पूरे न करने पर चलता भी किया। जीपी सिंह के घर छापे से एसीबी के निशाने पर केवल छोटे सरकारी कर्मचारी या निर्माण विभाग के लोग ही होने का दाग भी मिट गया। जीपी सिंह महीनों से सरकार की आँख की किरकिरी बने हुए थे, ऐसे में यह तो होना ही था।

छापे से उनके पास से क्या मिलता है, कितना मिलता है, यह अलग बात है? पर साफ़ है कि उनके कैरियर पर अब ब्रेक लग जाएगा। ख़बरें आ रही है कि सरकार देर-सबेर उन्हें निलंबित भी कर सकती है।

मंत्री के ओएसडी पर शिकंजा

कहते हैं राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो ने एक मंत्री के ओएसडी ( विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी ) पर शिकंजा कसते हुए पिछले दिनों लंबी पूछताछ की। चर्चा तो यह है कि ओएसडी साहब के पास से कई गोपनीय कंटेन और लिंक मिले हैं। इसमें मंत्री जी से जुड़ी कुछ चीजें भी हैं। ओएसडी के व्हाट्सअप चैट में विभागीय अफसरों के बारे में कई तरह की बातें सामने आई है। कहा जा रहा है ईओडब्लू और एसीबी के भय से ओएसडी मानसिक रोगी बनकर एक अस्पताल में भर्ती हो गए हैं।

सिंहदेव के अगले कदम का इंतजार

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने गांवों में निजी अस्पताल खोलने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के फैसले पर असहमति जाहिर कर नया संदेश दिया है। जिलों के प्रभार बदलने और घटाने या फिर अन्य मामलों में श्री सिंहदेव मध्यमार्ग अपनाते दिखते रहे हैं। ढाई साल में पहली दफे मुखालफत का स्वर फूटा है।

कहा जा रहा है गांवों में प्राइवेट अस्पताल का मसला अब कैबिनेट में जाएगा। कैबिनेट में टीएस सिंहदेव का रुख क्या होता है, बड़ा मायने रखेगा ? लोग कैबिनेट में उनके कदम का इंतजार कर रहे हैं।

मंत्री का निवेश

एक बड़ी कंपनी के रायपुर में बंद पड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट में परोक्ष तरीके से राज्य के एक मंत्री द्वारा निवेश किए जाने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि करीब 130 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट के कुछ हिस्से का सौदा मंत्री जी के करीबी लोगों ने कर लिया है। डील करीब 30 करोड़ में हुई है। इस डील में मंत्री जी की भूमिका शोध का विषय है ?

कंपनी के मालिक के दुर्दिन के चलते हाउसिंग प्रोजेक्ट खटाई में पड़ा था, बताया जाता है शहर के कई लोगों ने प्रोजेक्ट में निवेश कर रखा है।

अमन के लिए बनाए पद पर डीडी सिंह

राज्य में डॉ. रमन सिंह सरकार द्वारा अमन सिंह के लिए क्रिएट आईटी सेक्रेटरी के पद पर भूपेश बघेल सरकार ने डीडी सिंह को संविदा नियुक्ति दे दी। यहाँ आईटी सेक्रेटरी और सचिव संसदीय कार्य विभाग नान कैडर पोस्ट है। सचिव संसदीय कार्य विभाग के एवज में भूपेश बघेल सरकार ने डॉ. आलोक शुक्ला को संविदा नियुक्ति दी है। आईटी सेक्रेटरी का रिक्त पद डीडी सिंह के काम आ गया। डीडी सिंह को आईटी के साथ जीएडी और ट्राइबल जैसे महत्वपूर्ण विभाग दिया गया है।

आईपीएस की लिस्ट में कुछ गिरे, कुछ चढ़े

भूपेश सरकार ने इस हफ्ते 28 में से 21 जिलों के एसपी बदल दिए। लोगों को एसपी की लिस्ट का बड़ी बेसब्री से इंतजार था। इस लिस्ट से कुछ लोगों को झटका लगा और कुछ गदगद भी हुए , पर फार्मूला सिर से ऊपर चला गया। महासमुंद और रायगढ़ के एसपी रहे संतोष कुमार सिंह कोरिया जैसे छोटे और कोने के जिले में भेज दिए गए। पारुल माथुर जांजगीर-चांपा से गरियाबंद आ गईं, तो भोजराम पटेल गरियाबंद से लंबी छलांग मारकर कोरबा पहुंच गए। उलट-पुलट में कोई खाई में गिर गया , तो कोई पहाड़ चढ़ गए। कुछ जिलों में जाने का सपना देखते ही रह गए।

रिटायर्ड आईएएस को झटका

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के काम की शैली से लोगों को तो लग गया था कि कोई टेक्नोक्रेट ही छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग का अध्यक्ष बनेगा। कहते हैं हेमंत वर्मा की नियुक्ति से पुनर्वास की कतार वाले रिटायर्ड आईएएस अफसरों को जोर का झटका लगा है। चर्चा है कि एक रिटायर्ड आईएएस अफसर ने मुख्यमंत्री से बात कर ही आवेदन किया था, पर उनका भी नंबर नहीं लगा।

कुछ आईएएस के कद में हेरफेर संभव

कहा जा रहा है कि मंत्रालय में कुछ अफसरों की पोस्टिंग में हेरफेर हो सकती है। अभी जनसंपर्क विभाग का सचिव किसी को नहीं बनाया गया है। जनसंपर्क सचिव की जिम्मेदारी एसीएस सुब्रत साहू या जनसंपर्क आयुक्त डॉ. एस भारतीदासन को सौंपे जाने की चर्चा है। कुछ और अफसरों का वजन घटाया-बढ़ाया जा सकता है।

(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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