छत्तीसगढ़ के ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने प्रवासी मजदूरों व प्रदेश के मजदूरों की समस्या पर मुख्यमंत्री को लिखा पत्र : हस्तक्षेप की मांग

रायपुर(khabarwarrior)प्रदेश के केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, राज्य व केंद्र कर्मचारियों, बैंक – बीमा, बी एस एन एल कर्मचारी संगठनों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर मजदूरों की समस्या पर हस्तक्षेप की मांग की ।
इंटक के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह, एटक के महासचिव हरनाथ सिंह, सीटू के अध्यक्ष बी सान्याल, महासचिव एम के नंदी, एयक्टू के महासचिव बृजेन्द्र तिवारी, सी जेड आई ई ए के महासचिव धर्मराज महापात्र, छ ग तृतीय वर्ग शा कर्म संघ के अध्यक्ष राकेश साहू, केंद्र कर्मचारी समन्वय समिति के महासचिव दिनेश पटेल, आशुतोष सिंह, राजेन्द्र सिंह, मनिकराराम पुराम, बेफी के महासचिव डी के सरकार, ए आई बी ई ई के महासचिव शिरीष नलगुं ड बार, आर डी आई ई यू के महासचिव सुरेन्द्र शर्मा, बी एस एन एल ई यू के महासचिव आर एन भट्ट ने अपने पत्र में उनका ध्यान आकृष्ट कते हुए निम्न बात कही है –
प्रति, दिनांक : 14 मई 2020
श्रीमान भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री
छत्तीसगढ़ शासन
रायपुर,
महोदय,
हम छत्तीसगढ़ के ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के इस ज्ञापन के माध्यम से यह स्पस्ट करना चाहते है कि कोरोना वाइरस जैसी महामारी से निपटने की सभी की जिम्मेवारी है, जिसे देश व प्रदेशों की आम जनता भी बेहतर तरीके से पूरी कर रही है । महामारी से लड़ने सभी ट्रेड यूनियने राज्य सरकार का सहयोग कर रही है ।
मुख्यमंत्री राहत कोष मे भी हर हिस्से के श्रमिक वर्ग ने भी योगदान दिया है इसके अलावा भी अपनी सामर्थ्य के अनुसार ट्रेड यूनियन के कार्यकर्ता जनता के विभिन्न हिस्से के मध्य सहायता पाहुचाने भी जुटी है । इसका परिणाम है कि अन्य प्रदेशों की तुलना मे हमारे प्रदेश मे इसके प्रभाव को हम रोक पाये है, निश्चय ही इसके लिए इस कड़ी मे जुटे सभी चिकित्सीय कर्मी, सफाई कर्मी व अत्यावश्यक सेवा मे लगे कर्मियों और तंत्र को हम हार्दिक बधाई देते है ।
इस महामारी से निपटने के लिए अव तक घोषित लाक डाऊन ने आम मेहनतकश जनता के जीवन मे अकल्पनीय भूचाल ला दिया है। ऐसे मे वे और उनके परिजन भुखमरी, असहायता, महामारी से संक्रमित हो जाने की मानसिक त्रासद स्थिति मे पहुँच गए है ।
सैकड़ो, हजारो किलोमीटर की यात्रा हेतु लाखो लोगो का सड़कों पर पैदल कूच, रास्ते मे भूख, प्यास, दुर्घटनाओं मे मौत यह दिखाती है कि उनके नियोजकों ने उनके प्रति न्यूनतम नैतिक ज़िम्मेदारी भी पूरी नहीं की ।
ऐसे मे सरकार को इन नियोजकों पर नैतिक, सामाजिक व वैधानिक जिम्मेदारी पूरी करने के लिए दबाव बनाने के साथ कानूनी कसावट करने का काम करना चाहिए ।
प्रदेश के भारी संख्या मे मजदूर जो अन्य राज्यो मे काम करने गए है उन्हे वापस लाने राज्य सरकार ने विशेस ट्रेन की व्यवस्था की है जिसका हम स्वागत करते है किन्तु प्रदेश के बाहर के अन्य प्रदेशों के श्रमिक जो अन्य राज्यो से अपने घर जाने
हमारे शहरो से निकल रहे है उनके लिए भी उचित व्यवस्था की पहल की जरूरत है । इस परतिस्थिति मे हम ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की ओर से आपके सामने निम्न सुझाव प्रस्तुर कर रहे है आशा है आप इस पर उचित कदम उठाएंगे:
1- प्रदेश मे विभिन्न उधयोगों मे काम करने वाले श्रमिकों की घरबंदी अवधि मे कोई वेतन कटौती न की जाय , ठेका श्रमिकों, निजी स्कूल, कालेज, नर्सिंग होम व अन्य संस्थानो मे काम करने वालो के वेतन मे कटौती न हो तथा किसी भी मजदूर की छटनी न हो यह सुनिश्चित कर इसके लिए उचित निर्देश जारी किए जाए तथा इसके उल्लंघन पर कार्यवाही हेतु उचित कदम उठाए जाये ।
2- प्रदेश के असंगठित क्षेत्र के श्रमिक इससे सर्वाधिक प्रभावित हुये है, भवन निर्माण, बीड़ी, अगरबत्ती, रेहड़ी पटरी, ऑटो, रिक्शा, ई रिक्शा, जूता पालिस, मंडी मजदूर, ड्राइक्लिन मजदूर, छोटे कपड़े दुकान, छोटे कारखाने, घरेलू सफाई कामगार, हलवाई दुकानों, शादी ब्याह मंडपो के मजदूर, तृतीय लिंग के मजदूर, जैसे अनेक क्षेत्रो के श्रमिक इसमे शामिल है अतः प्रदेश के सभी नागरिकों को आगामी छह माह तक प्रति परिवार 35 किलो चावल, 5 किलो दल, चीनी, साबुन, नमक, खाने का तेल आवश्यक खाद्य वस्तु सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से उपलब्ध कराये जाए। ऐसे लोग जिनके राशन कार्ड नहीं है उन्हे भी आधार कार्ड के आधार पर यह उपलब्ध कराया जाए।
3- प्रदेश के सभी पंजीकृत असंगठित मजदूरो, आंगनवाड़ी, मितनिन, मध्यानह भोजन, सफाई कर्मी अन्य श्रमिकों को आगामी छह माह तक 7500 प्रतिमाह की न्यूनतम सहायता राशि प्रदान की जाय ।
4- प्रदेश की बाहरी सीमा मे बाहर से आ रहे श्रमिकों हेतु रहने, खाने तथा उनके प्रदेश की सीमाओ तक पन्हुचाने नोडल अधिकारी व ढांचे की व्यवस्था कर संबधि राज्यो के साथ समन्वय की उचित वयवस्था व तंत्र बनाया जाए इस कार्य मे श्रम विभाग के अमले का भी उपयोग किया जाय। प्रदेश मे फंसे अन्य राज्यो के श्रमिकों को वापस जाने उचित कदम उठाए जाय । इस कार्य मे ट्रेड यूनियनों व मदद पंहुचने मे लगे संगठनो के साथ संवाद विकसित कर उचित निगरानी तंत्र का निर्माण किया जाय ।
5- प्रदेश के दावा प्रतिनिधि जो एस पी ई एक्ट से गवर्न होते है उनके अनेक कंपनियो के कर्मचारियो की घरबंदी अवधि की वेतन कटौती रोकी जाय । किसानो को पर्याप्त मदाम दी जाय उनके उपज की खरीद सुनिशित की जाय तथा प्रदेश मे घर वापसी हुये मजदूरो के रोजगार की व्यवस्था के लिए बड़े पैमाने पर मनरेगा तथा आँय रोजगारमूलक कार्य प्रारम्भ कर रोजगार के अवसर उपलब्ध करने ठोस कदम उठाए जाये ।
आशा है आप हम श्रमिक संगठनो की भावनाओ के अनुरूप इन सुझावो पर सार्थक कदम उठाएंगे ताकि इस महामारी का बेहतर तरीके से मुक़ाबला करते हुये प्रदेश की श्रमजीवी जनता व आम जनता के जीवन तथा प्रदेश की अर्थव्यवस्था की हिफाजत की जा सके ।