लोकतंत्र सेनानियों की सम्मान निधि बंद करना तानाशाहीपूर्ण व अलोकतांत्रिक : भाजपा

रायपुर(खबर वारियर)भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने प्रदेश शासन द्वारा आपातकाल के दौरान राजनीतिक व सामाजिक कारणों से नेता व डीआईआर में गिरफ्तार कर जेल में बंद किए गए लोकतंत्र सेनानियों को भाजपा शासन द्वारा वर्ष 2008 से प्रदान की जाने वाली लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि के नियमों को निरस्त कर सम्मान निधि बंद किया जाना पूरी तरह तानाशाहीपूर्ण व अलोकतांत्रिक निर्णय करार दिया है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने कहा कि मौज़ूदा प्रदेश शासन ने स्वयं लोकतंत्र सेनानियों के सत्यापन के नाम पर सर्वप्रथम सम्मान निधि देना स्थगित करते हुए सत्यापन के बाद सम्मान निधि यथावत प्रदान करने का आदेश किया था परंतु एक वर्ष तक न तो शासन ने मीसा बंदियों का सत्यापन किया और न ही उन्हें सम्मान निधि प्रदान की। इसके बाद सेनानियों ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में न्याय हेतु याचिकाएं प्रस्तुत कीं। उन याचिकाओं में उच्च न्यायालय ने शासन को आदेशित किया कि सेनानियों को बकाया सम्मान निधि का भुगतान किया जाए व सत्यापन की कार्यवाही की जाए।
साय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश शासन ने उच्च न्यायालय के आदेश का पालन न कर आज दिनांक तक सेनानियों को आदेशित सम्मान निधि प्रदान करना छोड़, आपातकाल के समान ही न्यायालयीन आदेशों को रद्दी की टोकरी में फेंककर अपनी हठधर्मिता से, जिन नियमों के आधार पर न्यायालयीन आदेश हुए, उन्हें ही भूतलक्षी प्रभाव से निरस्त करने जैसा असंवैधानिक कृत्य किया है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने प्रदेश सरकार को कहा है कि सरकारें आती-जाती हैं, लेकिन इस प्रकार एक सरकार द्वारा दूसरी सरकार के निर्णय को इस तरह निरस्त नहीं किया जाता। इस निर्णय से प्रदेश सरकार की ओछी मानसिकता ही परिलक्षित हो रही है।
साय ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता बचाने हेतु न्यायालयीन निर्णय को दरकिनार कर आपातकाल लगाया और विरोधी दल के नेताओं, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, संपादकों आदि को लाखों की संख्या में बिना कारण 21 माह तक जेलों में डाल दिया व प्रताड़नाएं दी गई।
यदि ऐसे लोकतंत्र सेनानियों को किसी पूर्ववर्ती सरकार ने सम्मान दिया तो उस सम्मान को समाप्त करने का नैतिक व वैधानिक अधिकार बाद में आने वाली सरकार को नहीं है। साय ने इस निर्णय को पूर्णतः अलोकतांत्रिक करार दिया।