
रायपुर(खबर वारियर)अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति अपने संकल्पों के सांथ लगातार आगे बढ़ते जा रहे है,वे समाज मे फैले कुरीतियों, अंधविश्वासों के खिलाफ तथा उसके निवारण की दिशा में निरंतर निस्वार्थ भाव से काम करते चले जा रहे हैं,जिसके अंतर्गत खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में टोनही/डायन को लेके फैली अन्धविश्वास को एक चुनौती के रूप में लेकर काम कर रहे हैं और उसको दूर करने में काफी हद तक सफलता भी मिली है।
अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्रा का कहना है कि खासकर गांवों में अंधविश्वास के चलते कई महिलाओं को गांव के लोग टोनही/डायन मानकर कर खूब प्रताड़ित करते हैं,उनको कई सामजिक यातनाएं सहनी पडती है,जिसमें उनके हांथ से खाना-पीना बन्द कर देना,उन्हें गांव से निकाल देना,उसके सांथ उसके परिवार के लोगों से संपर्क तोड़ लेना, गांव के किसी भी क्रियाकलापों में उनके सांथ सांथ पारिवारिक सदस्यों का भी तिरस्कार कर देना जैसी अनेकों दंश झेलना था ।
डॉ. मिश्र का कहना है कि उनकी समिति द्वारा अंध श्रद्धा निर्मूलन का कार्य प्रदेश के सांथ सांथ देश भर में चलाया जा रहा है जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं,उनका उद्देश्य ऐसे अन्धविश्वासों को दूर कर प्रताड़ित महिलाओं, परिवारों को उनके परिवार गांव- समाज मे ससम्मान स्थापित करना है। इसके लिए उनकी समिति द्वारा अनेक प्रकार से लोगों की भ्रांतियों को दूर किया जाता है।वे इसके लिए गांवों में जाकर निरंतर लोगों से संपर्क अभियान के माध्यम से लोगो को जागरूक करने का अहम काम कर रहे हैं।
मिश्र का कहना है कि इसी अभियान के तहत उन्होंने प्रताड़ित महिलाओं से रक्षाबंधन पर राखी बंधवाने का कार्यक्रम एक अभियान के रूप में चलाया ,ताकि लोगों में ये संदेश जाए व विश्वास जगे की जिन महिलाओं को वो डायन बोलकर उनका बहिष्कार करते हैं उनके हाथों से छूने पर तथा उनके हांथ से खाने पीने से कोई नुकशान नहीं होता बल्कि अटूट प्रेम व्यवहार का संचार होता है।
ऐसे ही सामाजिक अभियान का अनुभव साझा करते हुए समिति के अध्यक्ष डॉ.दिनेश मिश्र कहते हैं, इस बार कोरोना की महामारी के चलते डायन/टोनही के सन्देह में प्रताड़ित महिलाओं से राखी बंधवाने का क्रम इस बार टूट गया,पर संकल्प कायम है।

पिछले कुछ वर्षों से रक्षाबंधन में जादू टोने से प्रताड़ित महिलाओं से मिलने, उन्हें सांत्वना देने, उन्हें बातचीत करने ,उनसे रक्षाबंधन पर राखी बंधवाने का जो सामाजिक कार्यक्रम हम करते आ रहे थे इस बार कोरोना के संक्रमण के कारण लगे हुए लॉक डाउन के नियमों व के सोशल डिस्टेन्स की सावधानियों के निर्देशों चलते नही हो पाया,हमारा न ही ग्रामीण अंचल में प्रवास हो पाया और न ही किसी महिला और उनके परिजनों से मुलाकात हो पाई.और उनसे मिलने – जुलने का क्रम अधूरा रह गया ,और फ़ोन पर बातचीत से सम्पर्क तो बना रहा , हमारा इंतजार भी होता रहा पर पहुंचना सम्भव न हो पाया।
अंधविश्वास के कारण प्रताड़ित एवं एक तरह से अपने ही लोगों के बहिष्कृत ऐसी निर्दोष महिलाओं के पुनः सामाजिक मेल मिलाप ,तथा उन्हें पुनः उनके गांव में सम्मानजनक रूप से पुनर्वास के लिए जब हमने यह काम आरंभ किया था तो प्रारंभ में कुछ बाधाएं तो आईं पर जब उस मार्ग पर चलते रहे तब धीरे धीरे बाधाएं दूर होती गयीं रास्ता बनने लगा, और मंजिल मिलने लगी, प्रारम्भिक रुकावटों के बावजूद भी अभियान आगे बढ़ाता गया।
अब जब ही लॉक डाउन सोशल डिस्टेन्स समय खत्म होगा हम फिर निकलेंगे मिलेंगे, साथ बैठेंगे दुख सुख बाँटेंगे, आप सभी लोग भी जहाँ पर हैं अपना ध्यान रखिये, नियमों का पालन करते हुए स्वस्थ बने रहें।
इस बार रक्षा बन्धन भले ही कलाई पर न बंध पाया हो ,पर हिफाजत, रक्षा का जो बीड़ा हमने उठाया है,वह हमेशा ही पूरा करने का प्रयास करते रहेंगे।