छत्तीसगढ़

ग़रीब व्यक्ति पर 2020 के अंत में सरकार का वार! कौन है जिम्मेदार? -प्रकाशपुन्ज पाण्डेय

रायपुर (खबर वारियर) समाजसेवी और राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने मीडिया के माध्यम से एक विज्ञप्ति जारी करके कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार की सलाह पर एक साधारण व्यक्ति पर वर्ष 2020 के जाते जाते एक कड़ा प्रहार किया है जिसका खामियाज़ा एक साधारण व्यक्ति को भुगतना पड़ेगा। पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे देश में इस प्रकार का तानाशाही फ़रमान जारी कर सरकार ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है।

यूं तो छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार केंद्र की मोदी सरकार को पानी पी पीकर कोसती रहती है कि केंद्र सरकार बेरोज़गारी, महंगाई, मजदूर, किसान और आम व्यक्ति के हितों की रक्षा करने में अब तक असमर्थ साबित हुई है। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने भी साल के अंत में एक साधारण व्यक्ति पर जिस प्रकार से तानाशाही फ़रमान जारी किया है उससे एक साधारण व्यक्ति जो कि जैसे तैसे अपनी रोजी-रोटी कमा रहा था, उसे तगड़ा झटका लगा है।

मामला यह है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार की सलाह पर एक राजपत्र जारी करते हुए, नापतौल विभाग के एक साधारण सुधारक के लाइसेंस की फीस को ₹100 प्रतिवर्ष से बढ़ाकर सीधे ₹2000 प्रतिवर्ष कर दिया है और साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि 5 साल की फीस एक मुश्त जमा करनी होगी। मतलब सीधे ₹10000 एक साथ जमा करने होंगे। इतना ही नहीं बल्कि अगर यह शुल्क 31 दिसंबर 2020 तक जमा नहीं कराया गया तो ₹5000 जुर्माना लगाया जाएगा, मतलब ₹15000। अब मुख्य विषय यह है कि आज की ऐसी विपरीत परिस्थिति में एक साधारण नापतोल विभाग का सुधारक जो कि जैसे तैसे अपना जीविकोपार्जन चला रहा था, वह इतनी रकम एक साथ कहां से लाएगा? इसका मतलब साफ है बेरोज़गारी की ओर एक और कदम!

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि सरकार का यह फैसला आम लोगों के विरुद्ध है और इससे प्रदेश में बेरोज़गारी और बढ़ेगी। इसीलिए मैं छत्तीसगढ़ के ग़रीबों के मसीहा और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से निवेदन करता हूँ कि आम लोगों के हित में इस फ़रमान को वापस लेने पर विचार करें और साधारण व्यक्ति को इंसाफ दें।

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