एग्रीकल्चर

छत्तीसगढ़ का सफेद सोना, पांच साल में तिगुनी हुई खेती

रायपुर(खबर वारियर)- धान के कटोरे के साथ अब अन्य फसल में भी छत्तीसगढ़ के किसान देशभर में अपना योगदान दे रहे हैं, इन दिनों रायपुर जिले समेत बेमेतरा, दुर्ग, राजनांदगांव में बड़े पैमाने पर कपास (पोनी) की खेती हो रही है। इन जिलों के करीब 500 किसान 13 हजार एकड़ से ज्यादा के दायरे में कपास की खेती कर रहे हैं, जो पांच साल पहले करीबन 4-5 हजार एकड़ तक ही सीमित था। कपास खेती व मिलिंग करने वाले विभोर गुप्ता ने बताया कि पहले की तुलना में अब इस एरिया में ज्यादा कपास की खेती हो रही है, पिछले5-6 साल में दो-तीन गुना बढ़ी है।

इसका कारण यह है कि इसके लिए धान की तरह अधिक बारिश व अन्य बड़ी सुविधाओं की जरूरत नहीं होती है। देश में जहां महाराष्ट्र व ओडिशा के साथ अब छत्तीसगढ़ में इसकी अच्छी खेती हो रही है। यहां औसतन प्रति एकड़ में 8-10 क्विंटल कपास किसान पैदावार कर रहे हैं। प्रति एकड़ इन्हें करीबन 10 से 12 हजार का खर्च आता है। 5000 रुपए प्रति क्विंटल की कीमत कपास बेचने पर एक एकड़ खेती पर किसान 40 -45 हजार रुपए कमा लेता है। यहां के रुई मिलिंग होकर गुजरात व हरियाणा समेत अन्य राज्यों के टैक्सटाइल इंडस्ट्री में जाते हैं, जहां इसका धागा बनाया जाता है। बेमेतरा-दुर्ग जिले के अछोली, बेहरा, बेरला, हिंगनाडीह, बुधेली, बोरसी समेत अन्य एरिया के साथ सिमगा, खैरागढ़ की तरफ भी इसकी फसल हो रही है। जुलाई में फसल लगाने से दिसंबर-जनवरी में इसकी बुनाई किया जाता है।

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