छत्तीसगढ़विचार

“कही-सुनी”:- वरिष्ठ पत्रकार रवि भोई की कलम से…

( 04 DEC-22)

“कही-सुनी”

   रवि भोई✍️


भानुप्रतापपुर उपचुनाव के केंद्र में सर्व आदिवासी समाज

कहा जा रहा है भानुप्रतापपुर उपचुनाव में कांग्रेस की राह में सर्व आदिवासी समाज रोड़ा बन गया है। इस उपचुनाव के बहाने राजनीतिक मंच पर सर्व आदिवासी समाज उभर कर आया है। 2018 में राज्य में भूपेश बघेल की सरकार आने के बाद जितने भी उपचुनाव हुए, उनमें कांग्रेस की जीत हुई है। मरवाही, खैरागढ़, दंतेवाड़ा और चित्रकोट में कांग्रेस और भाजपा का सीधा मुकाबला रहा, लेकिन पहली बार भानुप्रतापपुर में भाजपा के साथ सर्व आदिवासी समाज भी कांग्रेस से टकरा रहा है।समाज के लोग कांग्रेस के पदाधिकारियों को आँखें दिखा रहे हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीन दिसंबर को रोड़ शो कर माहौल कांग्रेस के पक्ष में करने की कोशिश की। कांग्रेस ने भानुप्रतापपुर जीतने के लिए आदिवासी आरक्षण बिल विधानसभा में पारित करवाने का दांव चला।

कांग्रेस ने स्व. मनोज मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी को मैदान में उतारकर सहानुभूति की नाव पर सवारी की। कांग्रेस की कोशिशों का परिणाम आठ दिसंबर को ही पता लगेगा, लेकिन कांग्रेस के साथ भाजपा ने पूरी ताकत लगाई और पसीना बहाया। कहते हैं आखिरी दौर में भाजपा अर्थ संकट में फंस गई। माना जा रहा है कि सर्व आदिवासी समाज के खेल पर भानुप्रतापपुर का नतीजा टिका है। भानुप्रतापपुर उपचुनाव के लिए सोमवार पांच दिसंबर को मतदान होना है।

आरक्षण बिल के बहाने राजनीति

भूपेश बघेल की सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र आहूत कर राज्य में सरकारी नौकरियों और भर्ती में 76 फीसदी आरक्षण का प्रावधान करने का विधेयक पारित कर दिया है। अब गेंद राज्यपाल अनुसुइया उइके के पाले में हैं।

दो दिसंबर को विधेयक पारित होने के तत्काल बाद भूपेश बघेल के पांच मंत्री राजभवन जाकर राज्यपाल से विधेयक पर हस्ताक्षर करने का आग्रह किया था। आमतौर पर ऐसा होता नहीं है। राज्यपाल विधेयक के अध्ययन और विधि विशेषज्ञों की राय के बाद ही निर्णय लेते हैं।

कहा जा रहा है कि राज्यपाल अनुसुइया उइके अध्ययन और विधि विशेषज्ञों की राय के बाद ही फैसला करेंगी। कहते हैं सरकार की मंशा थी कि विधेयक पांच दिसंबर से पहले कानून का रूप ले ले , जिससे भानुप्रतापपुर उपचुनाव में कांग्रेस को फायदा मिल जाय। भानुप्रतापपुर में पांच दिसंबर को वोटिंग है। चर्चा है कि राज्यपाल पांच दिसंबर तक विधेयक को लेकर संशय की स्थति बनाए रखेंगी, जिसका राजनीतिक लाभ कांग्रेस उठा न सके।

उतार -चढाव वाला महीना होगा जनवरी ?

कहा जा रहा है कि जनवरी 2023 का महीना छत्तीसगढ़ के लिए बड़ा उतार -चढाव वाला हो सकता है। ईडी के तेवर और तीखे हो सकते हैं। कुछ राजनेताओं और अफसरों पर ईडी का प्रहार हो सकता है।

माना जा रहा है कि गुजरात- हिमाचल चुनाव निपटने के बाद भाजपा के बड़े नेताओं का केंद्र भी छत्तीसगढ़ हो जाएगा। वैसे सौम्या चौरसिया की गिरफ्तारी से छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक भूचाल आ गया है। उम्मीद नहीं थी कि ईडी मनी लांड्रिग मामले में इतनी जल्दी सौम्या को निशाने पर लेगी। सबकी नजर आईएएस रानू साहू पर टिकी थी।

चर्चा है कि राज्य सरकार के तेवर के कारण ईडी सौम्या को पहले ही लपेटे में ले लिया। सौम्या की गिरफ्तारी से राज्य सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।

सौम्या को सत्ता के केंद्र का अफसर माना जाता रहा है और खबर है कि सौम्या की गिरफ्तारी से शासन- प्रशासन में बैठे कुछ लोगों की बांछे खिल गई है, तो कुछ ऐसे भी हैं, जिनको झटका लगा है। सौम्या को गिरफ्तार कर ईडी नदी की अलग धारा पर चल पड़ी है। अब देखते हैं इस धारा की चपेट में कौन-कौन आते हैं , लेकिन जो कुछ भी हो रहा है छत्तीसगढ़ के लिए शुभ संकेत नहीं है।

सुन्दरराज पी की पारी

2003 बैच के आईपीएस सुन्दरराज पी ने बस्तर के आईजी के रूप में तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है। 2019 में सुन्दरराज के साथ बनाए गए सभी रेंज आईजी बदल गए हैं। भूपेश बघेल की सरकार में कलेक्टर-एसपी फटाफट बदल दिए जा रहे हैं , ऐसे में सुन्दरराज पी की बस्तर आईजी की पारी मायने रखती है। सुन्दरराज पी नक्सल इलाके में ही काफी समय गुजार चुके हैं। वे बस्तर के एसपी, फिर दंतेवाड़ा के डीआईजी रह चुके हैं। पुलिस मुख्यालय में रहते हुए भी नक्सल समस्या देखते थे। कहा जाता है कोई अफसर आईजी बनकर बस्तर जाना नहीं चाहता , जबकि सुन्दरराज बस्तर और नक्सल समस्या से रच-बस गए हैं। इस कारण चल रहे हैं।

सुन्दरराज भारत सरकार में इम्पैनल हो गए हैं। अब देखते हैं छत्तीसगढ़ में डटे रहते हैं या फिर दिल्ली जाते हैं। सुन्दरराज के साथ 2003 बैच के आईपीएस ओ पी पाल भी भारत सरकार में इम्पैनल हुए हैं। सरकार ने उन्हें दुर्ग और रायपुर रेंज के आईजी के बाद पुलिस मुख्यालय में पदस्थ कर दिया है।

अमिताभ जैन चुनाव तक सुरक्षित ?

कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव तक तो अब अमिताभ जैन छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव बने रहेंगे। ईडी की कार्रवाई के बीच शायद ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने एसीएस सुब्रत साहू को मुख्य सचिव बनाए। कुछ महीने पहले तक सुब्रत साहू को मुख्य सचिव बनाए जाने की चर्चा बड़े जोरों पर थी।

राज्य के मुख्य सचिव के तौर पर अमिताभ जैन 30 नवंबर को दो साल पूरे कर लिए हैं। अभी उनका लंबा कार्यकाल बचा है। वे जून 2025 में रिटायर होंगे। अमिताभ जैन 30 नवंबर 2020 को आर पी मंडल के रिटायरमेंट के बाद मुख्य सचिव बने हैं।

अफसरों में दहशत

कहते हैं मनी लांड्रिग मामले में पहले आईएएस समीर विश्नोई की गिरफ्तारी और दो दिसंबर को सौम्या चौरसिया की गिरफ्तारी से राज्य के नौकरशाह भय खाने लगे हैं। समीर विश्नोई अभी जेल में हैं और सौम्या चौरसिया ईडी के रिमांड में।

चर्चा है कि राज्य में बदले माहौल में अफसर अब फील्ड की पोस्टिंग से कतराने लगे हैं। राज्य में संभवतः नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव हो जाएगा। कुछ अफसर एक साल मंत्रालय या विभागाध्यक्ष दफ्तर में बैठकर काट लेने के फ़िराक में हैं।

माना जा रहा है कि अगले हफ्ते कुछ कलेक्टर बदले जा सकते हैं, लेकिन कलेक्टर बनने में जूनियर अफसरों में भी पहले जैसा उत्साह नहीं दिख रहा है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं। )

Related Articles

Back to top button