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बजट में किसानों के लिए नया कुछ नहीं,आंकड़ों के मायाजाल से खेती का विकास कैसे :- झवेन्द्र भूषण वैष्णव

रायपुर (खबर वारियर) छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पेश बजय 2022-24 पर प्रतिक्रिया देते हुए छत्तीसगढ़  प्रगतिशील किसान संगठन के  महासचिव झबेन्द्र भूषण वैष्णव ने कहा कि न्याय योजना का नौ हजार देकर सरकार ने किसानों की परेशानीयों से इति श्री कर लिया, ये बजट किसानों का कहा ही नही जा सकता, क्योंकि जो कुछ प्रावधान किया गया है वो पुरानी योजनाओं पर ही है नया कुछ है ही नही।

पिछले साल की तुलना में कृषि एवं सिंचाई की बजट में कटौती किया गया है,किसानों से किया वादा कैसे पूरा होगा बजट इस पर मौन है। धान छोड़कर बाक़ी फसलों के लिए किसान बाजार भरोसे हैं, उद्यानिकी फसल लेने वाले किसान खून के आंसू रो रहे हैं , दो तिहाई कृषि भूमि असिंचित है, भगवान भरोसे एक फसल लेकर किसान संपन्न कैसे हो सकता है, बजट में इसका जवाब होना था। बाकी मामलों में भले छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय औसत से आगे हो प्रति व्यक्ति आय के मामलों में राष्ट्रीय औसत से पीछे हैं। कहीं ये किसानों के आय का प्रतिबिंब तो नही है, क्योंकि छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है।

सरकार ये कहते नही थकती कि किसानों के जेब में पैसा आयेगा तो प्रदेश में समृद्धि आयेगी, पिछली सरकार का पर्दा लेकर आंकड़ों के मायाजाल से खेती का विकास कैसे होगा?

नरवा, गरुवा , घुरवा बाड़ी जैसे सरकार के महत्वाकांक्षी योजना के लिए बजट में पर्याप्त व्यवस्था नही किया गया है। पांच साल में सिचाई का रकबा दुगना करने का वादा करके सत्ता में आई सरकार मात्र सिंचाई रकबे में तीन लाख हेक्टर ही जोड़ पाई, तकनीकी खेती के लिए कोई प्रोत्साहन योजना का बिम्ब ही दिखाई नही पड़ा। उद्यानिकी फसलों के तरफ किसान आकर्षित हो ऐसी कोई योजना सरकार की मंशा में नही है ।

बजट देखकर तो ऐसा लग रहा है किसान न्याय योजना देकर सरकार निश्चिन्त हो गई है कि अब किसानों का समग्र विकास हो जायेगा

 

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