दुर्ग (खबर वारियर ) – सदा, सदा से आदि अनादि काल से नारी शक्ति को महाशक्ति के रूप में देखा गया है सृजन का मूल माध्यम सिर्फ स्त्री को ही चुना गया है जबकि पितृसत्ता का आवश्यकता की वजह से निर्माण हुआ है, नि:स्वार्थ रुप से देने का भाव केवल माता के पास होता है और इसलिए धरती, गाय , प्रकृति में हम माता को ही ढुंढते हैं ।
ग्राम चंगोरी में श्रीमद् भागवत कथा के तिसरे दिन के प्रसंग में कथा वाचक मीनाक्षी देवी वैष्णव ने सति चरित्र कथा को विस्तार देते कहा कि सुखद संयोग है आज जो सति चरित्र, शिव विवाह की कथा नवरात्र के पहले दिन सुनने और सुनाने का अवसर बना है ।
नवरात्र में नवदुर्गा के रूप में नारी शक्ति का बखान और पूजा होती है, जब हम आराधना, प्राथर्ना में दिव्य शक्ति के गुणों का हृदय से बखान करते हैं तो वही गुण हमारे अस्तित्व का भी हिस्सा बनते जाते हैं । और यही गुण मानवता से दिव्यता की ओर ले जाती है।
कथा को भाव देते हुए मीनाक्षी देवी ने कहा सति यानि शक्ति के बिना शिव यानि सृष्टि का संचलन नही हो सकता , क्या स्त्री के बिना पुरुष की कल्पना की जा सकती है, माता के बिना संतान की कल्पना कर सकते है? इसलिए हम नारी शक्ति को सर्वोपरि मानते हैं|
ध्रुव चरित्र हमें सीखाता है कि ईश्वर प्राप्ति के लिए कोई उम्र का बंधन नही है, ज्ञान का बंधन नही है सिर्फ हृदय से ईश्वर नाम का इंधन की जरूरत है |
आयोजन समिति महिला कमांडो एवं ग्रामवासी चंगोरी ने शिव विवाह को सजिव करते हुए लोगों का स्वागत कर आभार व्यक्त किये।