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प्रदेश में भू-जल संधारण हेतु नई जल दरें लागू

रायपुर(khabarwarrior) राज्य शासन द्वारा भू-जल का विभिन्न औद्योगिक प्रयोजनों के उपयोग के लिए नई दरें लागू की गई है। जिन उद्यागों में भू-जल का उपयोग कच्चे माल के रूप में नहीं होता है उन उद्योगों के लिए नैसर्गिक जल स्त्रोत की जल दर से तीन गुना अधिक (15 रूपए प्रति घनमीटर) की गयी है। जबकि कोल्डड्रिंक, मिनरल वॉटर, शराब आदि के लिए भू-जल का कच्चे माल के रूप में उपयोग कर रहे उद्योगों के लिए जल-दर लगभग 25 गुना अधिक (375 रूपए प्रति घनमीटर) निर्धारित की गई है। वहीं सतही जल उपयोग करने वाले उद्योगों के लिए जल-दरों को लगभग यथावत रखा गया है।
राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में सतही और भू-जल की सीमित उपलब्धता को दृष्टिगत रखते हुए औद्योगिक संस्थानों में जल के अनावश्यक दोहन, दुरूपयोग और अपव्यय की रोकथाम के उद्देश्य से भू-जल संधारण हेतु नई जल दर लागू की गई है। निर्धारित जल दरें जल संसाधन विभाग द्वारा 16 जनवरी 2020 को अधिसूचना के प्रकाशन के साथ प्रभावशील हो गई हैं।

अधिकारियों ने बताया कि राज्य शासन की अधिसूचना 24 फरवरी 2016 अनुसार कच्चे माल के रूप में भू-जल का उपयोग कर रहे उद्योगों के लिए प्रति लीटर जल-दर केवल 0.44 पैसे (आधे पैसे से भी कम लगभग नगण्य) थी, नवीन अधिसूचना 16 जनवरी 2020 द्वारा यह दर 37.50 पैसे प्रति लीटर की गई है।

महाराष्ट्र राज्य, जहां पर छत्तीसगढ़ की तुलना में सतही एवं भू-जल की सीमित उपलब्धता है एवं उद्योग बहुतायत से स्थापित है, वहां जल का कच्चे माल के रूप में उपयोग कर रहे उद्योगों तथा अन्य उद्योगों के लिए निर्धारित जल-दर की लगभग 25 गुना जल-दर पिछले 2-3 वर्षाें से प्रचलित हैं।

कच्चे माल के रूप में भू-जल का उपयोग करने वाले उद्योगों के लिए 25 गुना अधिक जल-दर वृद्धि (375 रूपए प्रति घनमीटर) प्रथम दृष्टया बहुत अधिक प्रतीत होती है। परन्तु यदि गणना की जाए तो, मिनरल वाटर उद्योग द्वारा एक घनमीटर अर्थात 1000 लीटर भू-जल उपयोग हेतु 375 रूपए प्रति घनमीटर की दर से एक लीटर के लिए विभाग को केवल 37.50 पैसे जल-कर दिया जाएगा, जबकि उद्योगों द्वारा एक लीटर मिनरल वाटर लगभग 15 से 20 रूपए में बेचा जाता है।

जल के औद्योगिक उपयोग के एवज में वर्तमान में शासन को प्रतिवर्ष लगभग 700 करोड़ रूपए के राजस्व की प्राप्ति हो रही है। वर्तमान में दर के पुनरीक्षण 16 जनवरी 2020 से औद्योगिक जल कर राजस्व में लगभग 20 से 25 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
छत्तीसगढ़ राज्य में भू-जल का औद्योगिक प्रयोजन  में बहुतायत से, उचित अनुमति के बिना उपयोग हो रहा है। जबकि भू-जल का औद्योगिक प्रयोजन  में उपयोग नगण्य या कम से कम हो, इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा बार-बार निर्देश दिए जा रहे हैं।

केन्द्रीय भूमि जल प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण एनजीटी के आदेशानुसार राज्य के भू-जल संबंधी क्रिटीकल, सेमी क्रिटीकल क्षेत्र तथा ब्लॉक में औद्योगिक प्रयोजन हेतु भू-जल दोहन की स्वीकृति नहीं देने के निर्देश दिए गए हैं।

राज्य के 12 जिलों के कुल 24 विकासखण्ड क्रिटीकल, सेमी क्रिटीकल क्षेत्र में आते हैं। इन क्षेत्रों को तथा राज्य के अन्य विकासखण्डों को क्रिटीकल, सेमी क्रिटीकल क्षेत्र में आने से रोका जा सके इसके लिए नई जल दर लागू की गई है।

भू-जल उपयोग से निर्मित मिनरल वॉटर, कोल्ड ड्रिंग्स, बीयर एवं मदिरा का प्रति लीटर विक्रय मूल्य क्रमशः 15 रूपए, 50 रूपए, 230 रूपए एवं 400 रूपए है।

इस संबंध में पूर्व में वर्ष 2016 से प्रचलित एवं वर्तमान में वर्ष 2020 से प्रचलित भू-जल दर (लागत) तथा निर्धारित जल-दरों से भी इन उद्योगों पर विशेष आर्थिक भार नहीं पड़ेगा, अपितु जल के अनावश्यक दोहन, दुरूपयोग, अपव्यय की रोकथाम में मदद मिलेगी और राज्य के राजस्व की भी वृद्धि होगी।

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