छत्तीसगढ़

मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए बुनियादी सुविधाएं जरूरी: न्यायमूर्ति एच.एल दत्तू

रायपुर(khabarwarrior) राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग की शिकायतों के निराकरण के संबंध में आज यहां सिविल लाइन स्थित न्यू सर्किट हाउस में कैम्प सीटिंग एवं जन सुनवाई आयोजित की गई।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति  एच.एल. दत्तू ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा कि मानवा अधिकार संरक्षण और आर्थिक सामाजिक योजनाओं के क्रियान्वयन में गहरा संबंध है।

उन्होंने कहा कि मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए बुनियादी सुविधाओं के लिए ठोस कार्य धरातल पर दिखे। महिलाओं और बालिकाओं को सेनिटेशन की सुविधा उपलब्ध हो। महिलाओं और बालिकाओं की ट्रेकिंग की घटनाओं पर तत्काल और ठोस कार्यवाही की जाए।

न्यायमूर्ति ने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार के सभी विभागों के सहयोग से सभी की समस्याओं का निराकरण होगा।

कैम्प सीटिंग सत्र का  हुआ शुभारंभ

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तू ने दीप प्रज्जवलित कर कैम्प सीटिंग सत्र का शुभारंभ करते हुए कहा कि मानव अधिकारों का हनन नहीं हो इसके लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम के तहत सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए।

उन्होंने कहा कि इस खुली सुनवाई का उद्देश्य पीड़ित और राज्य सरकार के अधिकारियों को एक मंच पर लाकर मानव अधिकार हनन के प्रकरणों का त्वरित निदान करना है।

आयोजन से ऐसा वातावरण निर्मित हो, जिससे सभी नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का संरक्षण हो और वे संविधान में प्रदत्त मानव अधिकारों का उपभोग कर सके।

कैम्प सीटिंग के माध्यम से प्रभावितों को क्षतिपूर्ति राशि दिलाई जाती है और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की अनुशंसा भी की जाती है।

शिविरों के माध्यम से मानव अधिकार एक्ट 1993 के तहत मानव अधिकार हनन के प्रकरणों को सुनने और निराकृत करने का अवसर मिलता है।

न्यायमूर्ति  एच.एल. दत्तू ने मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए बुनियादी सुविधाओं-शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, स्वच्छता के विकास पर विशेष जोर दिया। आयोग का उद्देश्य मानव अधिकार के प्रकरणों की सुनवाई कर न्याय दिलाना है।

आम लोगों को उनके मूलभूत अधिकार मिले, स्कूल ठीक से संचालित हो, आंगनबाड़ी प्रभावी ढंग से कार्य करें, लोगों को स्वास्थ्य की सुविधा मुहैया हो।

आयोग राज्य में विशेषकर अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के प्रकरणों की सुनवाई करेगा।

इस अवसर पर आयोग के सेक्रेटरी जनरल  जयदीप गोविंद ने मानव अधिकार से संबंधित प्रकरणों के निराकरण और पीड़ित पक्षों को क्षति पूर्ति राशि वितरित करने की जानकारी दी।

उन्होंने बताया राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग मानव अधिकार के उल्लंघन के संबंध में सुनवाई कर प्रभावितों को न्याय दिलाने का कार्य करता है। आयोग द्वारा प्राप्त शिकायतों की शत्प्रतिशत सुनवाई की जाती है और इसका पालन भी किया जाता है।

आयोग द्वारा निःशक्तजनों, ओल्ड एज होम, जेन्डर की शिकायतों का भी निराकरण किया जाता है। मानव अधिकार से संबंधित गतिविधियों का प्रचार-प्रसार हिन्दी और अंग्रेजी में किया जाता है।

राज्य बनने के बाद पहली बार फुल और सिंगल बेंच द्वारा खुली जनसुनवाई,

प्रभारी मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पहली बार राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की फुल बेंच एवं सिंगल बेंच द्वारा एक साथ अनुसूचित जाति एवं जनजाति से संबंधित शिकायतों की खुली जनसुनवाई की जा रही है।इसका लाभ पीड़ित पक्षों को मिलेगा।इन वर्गाें से संबंधित प्रत्येक प्रकरणों को आयोग के समक्ष रखने और उनके निराकरण के लिए छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली बार यह अवसर मिला है।

जैन ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जनजाति की है। प्रदेश के 150 में से 85 विकासखण्ड अनुसूचित जनजाति के है।राज्य में इन वर्गाें की शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है।राज्य सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों और गर्भवती महिलाओं को गर्म भोजन प्रदान किया जा रहा है।

प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में साप्ताहिक हाट बाजारों में चिकित्सकों की टीम द्वारा स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई जा रही है।शहरी क्षेत्रों के स्लम एरिया में भी घर पहुंच चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराई जा रही है।

वनांचल क्षेत्रों में मलेरिया नियंत्रण के लिए विशेष अभियान चलाकर हर व्यक्ति की जांच कर उपचार किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि दंतेवाड़ा जिले में गरीबी रेखा का स्तर राष्ट्रीय स्तर के समकक्ष लाने के लिए विभिन्न विभागों के समन्वय से मिशन मोड़ पर काम कर रहे हैं।

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