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किसान सभा ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, एक सर्वसमावेशी राहत पैकेज की मांग की

रायपुर(खबर वारियर)अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने कोरोना प्रकोप के मद्देनजर केंद्र सरकार के आर्थिक पैकेज और राज्य सरकार द्वारा उठाये गए राहत कदमों के अलावा एक सर्वसमावेशी राहत पैकेज घोषित करने की मांग राज्य सरकार से की है।

इस संबंध में किसान सभा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक पत्र भी लिखा है और ग्रामीण गरीबों की समस्याओं को उनके सामने रखते हुए इसे हल करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है।

छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा कि मंदी की मार झेल रहे प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर कोरोना प्रकोप के कारण लॉक डाउन के चलते गंभीर असर होने जा रहा है और प्रदेश की जीडीपी में भारी गिरावट होने जा रही है। इससे प्रदेश की बहुमत आबादी के लिए आजीविका का प्रश्न सबसे ऊपर आ गया है, जिसे संवेदनशीलता और दूरदर्शिता के साथ हल किये जाने की आवश्यकता है। तभी सोशल डिस्टेंसिंग के उपायों पर प्रभावी तरीके से अमल हो पायेगा।

किसान सभा नेताओं ने अपने पत्र में खेती-किसानी और ग्रामीण गरीबों से जुड़े लोगों की 14 समस्याओं को सामने मुख्यमंत्री के सामने रखा है और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है।

पत्र में उल्लेखित समस्याएं इस प्रकार हैं :

◆ फसल कटाई, वनोपज संग्रहण, पशुपालन के जरिये दुग्ध व्यवसाय में लगे ग्रामीणों व इन जिंसों की खरीदी-बिक्री के संबंध में :

●1. लॉक डाउन के चलते रवि फसल की कटाई में दिक्कतें आ रही हैं, क्योंकि प्रदेश में अधिकांश कटाई शारीरिक श्रम से होती है। इसके लिए प्रदेश में लाखों खेत मजदूरों की जरूरत पड़ती है, जो कोरोनावायरस और प्रशासन की सख्ती दोनों के कारण घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।

अतः खेती-किसानी का काम करने वाले सभी लोगों को राज्य सरकार द्वारा सुरक्षा किट जाने चाहिए, जिसमें साबुन, मास्क, दस्ताने आदि शामिल हों, ताकि वे सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए कटाई व खेती किसानी के काम में लग सके। इस काम को मनरेगा के साथ जोड़कर गरीब किसानों और खेत मजदूरों दोनों को राहत दी जा सकती है।

●2. वनोपज संग्रहण का काम प्रदेश में लगभग ठप्प है। इस काम में लगे आदिवासियों व अन्य मजदूरों को भी सुरक्षा किट उपलब्ध करवाया जाए तथा इस प्रकोप की समाप्ति के बाद समर्थन मूल्य पर वनोपज सोसायटियों के जरिए इसे खरीदने की घोषणा की जाए।

●3. दुधारू पशुओं का दूध दोनों समय निकाला जाता है। लेकिन लॉक डाउन के कारण गरीबों के लिए पूरा दूध बेचना संभव नहीं हो पा रहा है। इसको पंचायत स्तर पर लाभकारी दामों पर सरकार द्वारा खरीदी किए जाने की तुरंत व्यवस्था की जानी चाहिए।

●4. कोविड-19 के प्रोटोकॉल के पालन के साथ सीमित समय के लिए कृषि उपज मंडी तथा खरीदी केंद्र खोले जाने चाहिए। किसानों को यहां तक अपनी फसल लाने के लिए लिमिट और नियंत्रित परिवहन की अनुमति दी जाए इन स्थानों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना सुनिश्चित किया जाए तथा स्थिति का अनुचित लाभ उठाकर फसल को औने-पौने दामों पर हड़पने की कोशिश करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए।

●5. राज्य सरकार की घोषणा से बाहर रह गए सभी ग्रामीण परिवारों को दो-दो माह का राशन बांटा जाए तथा पंचायतों की मदद से नि:शुल्क उनके घरों तक पहुंचाया जाए। आदिवासी क्षेत्रों में राशन दुकानें 10-15 किलोमीटर दूर है और इस प्रकोप के मद्देनजर पुलिस और सुरक्षाबलों की सख्ती को देखते हुए यह बहुत जरूरी है।

●6. लैंगिक भेदभाव किये बिना हर परिवार के जन धन एवं मनरेगा खाते में न्यूनतम 5000 रुपयों की एकमुश्त आर्थिक सहायता स्थानांतरित की जाए।

●7. अन्नपूर्णा योजना का विस्तार ग्राम पंचायत तथा नगर निकायों तक किया जाए तथा गर्म भोजन का यथासंभव वितरण हर जरूरतमंद परिवार तक किया जाए।

●8. पूरे प्रदेश में मनरेगा के तहत काम खोले जाए तथा सभी मजदूरों को सुरक्षा किट प्रदान किया जाए, ताकि वे प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सुरक्षित ढंग से काम कर सकें। इस काम के लिए हर सप्ताह नगद भुगतान करने के निर्देश दिए जाएं। काम न मिलने पर राहत देने के लिए बेरोजगारी भत्ते के प्रावधान का उपयोग किया जाए।

◆ शहरों में फंसे ग्रामीणों के संबंध में :

●9. प्रदेश के हजारों ग्रामीण मजदूर काम की खोज में शहरों में पलायन किए हुए हैं और फंस गए हैं। इन मजदूरों को सुरक्षित ढंग से वापस उनके गांव पहुंचाने के लिए परिवहन की व्यवस्था की जाएं और जब तक यह व्यवस्था नहीं हो जाती, निकाय स्तर पर उनके मुफ्त रहने-खाने की व्यवस्था की जाएं।

◆प्राकृतिक आपदा से पीड़ित किसानों के लिए राहत राशि :

●10. इस मौसम में असमय ओलावृष्टि व बारिश ने खेती- किसानी को भारी नुकसान पहुंचाया है। इसका पूरा आकलन होने की प्रक्रिया का इंतजार किए बिना प्रति एकड़ न्यूनतम10000 रुपयों की राहत राशि का भुगतान किया जाए।

●11. कोरोना संकट के चलते फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई फसल बीमा योजना के तहत की जाए तथा इसके दायरे में सभी प्रभावित किसानों को लाया जाए।

◆बकाया वसूली स्थगित करने के संबंध में :

●12. किसानों के बकाया एक साल के लिए बिना ब्याज के स्थगित करते हुए बिजली तथा अन्य सभी तरह की बकाया वस्तु वसूली पर स्थगन दिया जाए। महाजनों और सूदखोरों से किसानों द्वारा लिये गए कर्ज़ को माफ करने की घोषणा की जाए।

◆आगामी सीजन की खेती की तैयारी के संबंध में :

●13. खरीफ सीजन के लिए किसानों को उच्च गुणवत्ता के बीज मुफ्त दिए जाएं तथा सोसायटियों के जरिए किसानों की ऋण की जरूरतों को पूरा किया जाए।

◆ कालाबाज़ारी रोकने के लिए :

●14. कृत्रिम मूल्य वृद्धि व कालाबाजारी रोकने के लिए दैनिक उपयोग की अति आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति की व्यवस्था की जाए तथा इन वस्तुओं का अधिकतम खुदरा मूल्य घोषित किए जाए।

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