छत्तीसगढ़

स्कूली बच्चों की चार माह की फीस हो माफ : माकपा

रायपुर(khabarwarrior)मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की लॉक डाउन के दौरान फीस वसूली स्थगित करने के राज्य सरकार के आदेश को नितांत अपर्याप्त बताया है, और मांग की है कि निजी व सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले सभी बच्चों की चार माह फीस माफ की जाएं।

यहां जारी एक बयान में राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि कोरोना वायरस के प्रकोप से आम जनता के सभी तबके प्रभावित हुए हैं और उनकी आजीविका का नुकसान हो रहा है। इस महामारी के खत्म होने के बाद भी लंबे समय तक इस नुकसान की भरपाई करना संभव नहीं होगा। वैसे भी स्कूल मार्च से बंद हो चुके है और जून अंत में ही अब खुलेंगे।

अतः राज्य सरकार को फीस वसूली स्थगित करने का आदेश देने के बजाय आगामी चार माह की फीस माफ करने का आदेश देना चाहिए, ताकि अपने बच्चों की शिक्षा के कारण पड़ने वाले आर्थिक बोझ से पालकों को राहत मिले।

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि शिक्षा के निजीकरण की नीतियों के चलते प्रदेश में कुकुरमुत्तों की तरह बड़े पैमाने पर निजी स्कूल खुले हैं और लूट के अड्डों में तब्दील हो गए हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में 13 लाख परिवारों के लगभग 20 लाख बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं और आशंका व्यक्त की है कि जब जून में पालकों को बकाया फीस सहित एक बड़ी राशि जमा करनी पड़ेगी, तो अनेक पालक आर्थिक अक्षमता के कारण अपने बच्चों की शिक्षा जारी रखने में असमर्थ होंगे और उन्हें बच्चों की शिक्षा-दीक्षा बंद करनी पड़ेगी।

स्पष्ट है कि कोरोना हमारे प्रदेश में शिक्षा को सीमित करने का भी कारक बनने जा रहा है, जिससे निपटने के लिए राज्य सरकार को प्रभावी कदम उठाने होंगे और इस क्षेत्र में भी आम जनता को राहत देनी होगी।

प्रदेश में बढ़ रही है भुखमरी और राज्य सरकार दुबली हो रही बड़ों की चिंता में,

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने छत्तीसगढ़ में फंसे दूसरे राज्यों के मजदूरों तथा हमारे प्रदेश में आर्थिक व सामाजिक रूप से कमजोर लोगों को लॉक डाउन से उत्पन्न भुखमरी से निपटने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों को नाकाफी बताया है।

पार्टी ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार भी केंद्र सरकार की तरह ही रोज कमाने-खाने वाले जरूरतमंदों तक प्रत्यक्ष सहायता पहुंचाने के बजाय ख़जाना संपन्न वर्ग के लिए खोल रही है। भुखमरी से निपटने के लिए केवल चार करोड़ रुपयों का आबंटन तथा व्यवसायियों को 331 करोड़ रुपयों की राहत देने का फैसला इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि पूरे प्रदेश से लगातार शिकायतें आ रही है कि लोग जहां-तहां फंसे हुए हैं, लेकिन सरकारी राहत उन तक पहुंच नहीं रही है। सरकारी अमला भी खुद इंतजाम करने के बजाय, एनजीओ की पहलकदमी पर निर्भर होकर रह गया है, जिनके काम करने की अपनी सीमाएं हैं।

माकपा नेता ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से इस प्रदेश के लोगों, किसानों व मजदूरों को केंद्र में रखकर एक बड़ा आर्थिक पैकेज घोषित करने की अपनी मांग को पुनः दोहराया है, ताकि भुखमरी से निपटने के साथ ही इस प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी बचाया जा सके।

उन्होंने कालाबाजारी और महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए सभी जीवनोपयोगी आवश्यक वस्तुओं के मूल्य निर्धारित करने के साथ ही इस प्रदेश में रहने वाले सभी लोगों और अप्रवासी मजदूरों के लिए दो माह का राशन पैकेट, जिसमें खाद्यान्न, दाल, तेल, साबुन व मास्क शामिल हो, मुफ्त उपलब्ध कराने की मांग की है।

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