छत्तीसगढ़व्यापार

राज्य में अब तक 6 हजार क्विंटल लघु वनोपज की हुई खरीदी,संग्रहण कर्ता वनवासियों को किया गया 1.47 करोड़ रूपए नगद भुगतान

रायपुर(खबर वारियर)राज्य के वनांचलों में रहने वाले ग्रामीणों तथा वन उत्पादों पर अपनी आजीविका चलाने वाले वनवासियों द्वारा एकत्र किए गए वन उत्पादों को समर्थन मूल्य पर खरीदी करना शुरू कर दिया गया है। राज्य के वनांचल क्षेत्रों में लधु वनोपज संग्रहण कर्ता ग्राम वासियों से अब तक 6 हजार 326 क्विंटल लघु वनोपजों की खरीदी की जा चुकी है।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर लघु वनोपज खरीदी का नगद भुगतान किया जा रहा है और खरीदे गए लघु वनोपजों का संग्रहण करने वाले ग्राम वासियों को एक करोड़ 47 लाख रुपए का नगद भुगतान किया गया है। राज्य में वनधन केंद्रों पर बिहान और लघु वनोपज संघ के संयुक्त पहल से समर्थन मूल्य पर लघु वनोपज की खरीदी की जा रही है।

राज्य के लगभग तीन हजार 500 स्थानों में बिहान के स्व सहायता समूह के माध्यम से वनोपज समितियों द्वारा लघु वनोपज की खरीदी हो रही है। इन वनोपजों में मुख्य रूप से इमली, महुआ, हर्रा, बहेड़ा, चरोटा, नागरमोथा, धवाईफूल, गिलोय आदि शामिल है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक बलरामपुर जिले में 136 क्विंटल, दंतेवाड़ा में 524 क्विंटल, राजनांदगांव में 940 क्विंटल, कोरिया में 196 क्विंटल, बिजापुर में 964 क्विंटल, धमतरी में 160 क्विंटल, बस्तर में दो हजा 303 क्विंटल, कोरबा में 559 क्विंटल एवं कबीरधाम जिले में 539 क्विंटल वनोपज की खरीदी की गई है।

वर्तमान में कोरोना महामारी के चलते लागू लॉक डाउन के दौरान खरीदी के समय इन समूहों द्वारा सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन किया जा रहा है।

बिहान के महिला स्व सहायता समूहों द्वारा वनोपज का मूल्य नगद दिया जा रहा है। इससे जहाँ एक ओर वनोपज पर निर्भर समुदाय को सहूलियत हो रही है वहीं दूसरी ओर इससे जुड़े समूहों को भी आजीविका के साधन उपलब्ध हो रहे है। इससे ग्राम वासियों को बड़ी राहत मिली है।

गौरतलब है कि पूर्व के वर्षों में ग्रामीणों द्वारा एकत्र किए जाने वाले लघु वनोपज को क्रय करने एवं उसका नगद मूल्य संग्राहक को देने हेतु शासन स्तर पर कोई समुचित व्यवस्था नही थी, जिसके चलते संग्राहक अपनी सामग्री को ग्राम या उसके आस-पास मौजूद स्थानीय व्यापारियों को औने-पौने दामों में बेचना पड़ता था।

परंतु इस वर्ष से राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान और लघु वनोपज संघ द्वारा साझा प्रयास करते हुए संग्रहित सामग्री को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने पहल की है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button