विचारों की दृष्टि में तबाही का मंजर
आलेख-अमित चंद्रवंशी”सुपा”
आज विश्व तबाही की ओर है, लेकिन एक नया सपना लिए नया सबेरा होगा, जिसका सभी को इंतजार है।समय के साथ मे ताजगी महसूस करते है, और अपने जीवन मे अपने आप के लिए संघर्ष करते है। दुनिया में दो तरह के लोग होते है एक जो सबका अच्छा चाहता है,और दूसरा सिर्फ अपना ।
हम खुद से निर्णय करते हैं कि हमारा विचार क्या है। समय रहते हम कर्म करते हैं उसका फल मिलता है, हमारा निर्णय हमे सशक्त बनाता है,और धैर्य से काम करना सिखाता है।
What happened to happen इस पर अमल करने की जरूरत है।अगर हमारी जड़ मजबूत है तो हमे कोई नही हटा सकती है, अगर जड़ कमजोर है तो गिरने में वक़्त नही लगता है।वक़्त का फेर होता है,जो होता है वक़्त के दरमियान होता है। जीवन मे बहुत सारे हिदायतें मिलती है,हम करते क्या है यह हम पर पूर्ण रूप से निर्भर होती है।
त्रासदी में मुल्क की सीमा नही देखी जाती है हुक्मरानों को अपनी आवाम की चिंता होती है। और उनसे जो बन पाता है, वह करते है। हुक्मरानों का काम होता है संघर्ष कर रहे सभी लोगो को सुरक्षित रखना, वह सभी चीजें उपलब्ध कराना जो उस वक़्त जरूरत हो। अपनी जान सबको प्यारी होती है लेकिन भाग खड़े होना हल नही है।
भारत की बात कही जाए तो हम पश्चिमी सभ्यता को अपनाए वही पूर्वी सभ्यता को नजरअंदाज कर दिये, और जब पश्चिमी ब्लॉक राष्ट्रों व पूर्वी ब्लॉक राष्ट्रों की युद्ध होती है तो भारत हमेशा से शांति प्रिय राष्ट्र की भूमिका निभाई है जो सदैव सफल रही। सरकार को अवाम की चिंता है। नर्स, डॉक्टर व हेल्थ डिपार्टमेंट को पूरी तरह सहयोग मिल रहा है, लोगो को आपस मे सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है।
जान की परवाह न करते हुए नावेल कोरोना वायरस से आज जो लड़ रहे है, उनके जस्बे को सलाम, अपने ज़ज़्बात को नजरअंदाज करके मानवीय सेवाओ में अपना अमूल्य योगदान दे रहे है। जीवन का चक्र है, जो आया है उसका जाना निश्चित है। लेकिन मानवीय संवेदनाओं को हनन होते हुए खत्म हो जाना अपने आप मे एक त्रासदी है।
सेवाभाव ने निहित लोगो को सलाम उनके सेवा भाव से ही हम कोरोना वायरस से लड़ सकते है अन्यथा खूनी मंजर विश्व युद्धों में हुआ उसे हमे पुनः दौहरने में वक़्त नही लगेगा।लाश गिनते रह जाएंगे लोग अपने मुक्ति के लिए लड़ते नजर आयेंगे जो कभी नसीब नही होगा।
सभ्यता का उदय हुआ लेकिन मौत का मंजर कभी नही देखा गया था।इतिहास की यह पहली लड़ाई है जो जो सभी राष्ट्र अपनी भूमि में खुद से खुद लड़ रही है, कोरोना का कहर आग की तरह है, जिसे विवेक, साहस, धैर्य, एकजुटता, विज्ञान, व अनुभव से लड़ने लड़ने की जरूरत है। मानवीय दृष्टिकोण से हम अभी नियमो का पालन करते है, तभी हम आगे कुछ कह सकते है, नही तो इतिहास से हम क्या सीखे है,उस पर प्रश्न खड़ा हो जाएगा।
(लेखक-अमित चन्द्रवंशी “सुपा” बीएससी के छात्र हैं,यह उनके निजी विचार हैं)