साख सहकारी समिति ने नही लौटाई जमा रकम ::उपभोक्ता फोरम ने लगाया 1 लाख 44 रुपये हर्जाना
दुर्ग(khabarwarrior)साख सहकारी समिति द्वारा मंथली इनकम प्लान में रकम जमा कराने के बाद स्कीम के अनुसार भुगतान नहीं किया। इस कृत्य को व्यवसायिक कदाचरण एवं सेवा में निम्नता मानते हुए जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने अर्थतत्व क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी रायपुर के शाखा प्रबंधक मोहम्मद इदरीस अहमद पर 1 लाख 44 हजार रुपये हर्जाना लगाया
ग्राहक की शिकायत
सेक्टर 7 भिलाई निवासी वाई.आर. दामले ने रोहित कुमार खरे के माध्यम से अर्थतत्व क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी रायपुर में मंथली इनकम प्लान में 100000 रुपये दिनांक 8 दिसंबर 2015 को जमा किया था, जिसकी अवधि 36 माह की थी और 36 माह तक प्रतिमाह 1000 रुपये परिवादी को भुगतान मिलना था किंतु प्लान के मुताबिक परिवादी को भुगतान नहीं किया गया और परिवादी को उसकी मूल राशि भी वापस नहीं की गई।
अनावेदक का बचाव
चिटफंड सोसायटी की ओर से प्रकरण में कोई कोई जवाब नहीं दिया गया जबकि कथित एजेंट रोहित कुमार खरे ने कहा कि उसने परिवादी को कोई दस्तावेज या रसीद जारी नहीं की थी ना ही वह संस्था का कर्मचारी या एजेंट है। संबंधित संस्था की अचल संपत्ति को अटैच करने की कार्यवाही दुर्ग जिलाधीश द्वारा प्रारंभ की जा चुकी है।
उपभोक्ता फोरम का फैसला
जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने प्रकरण में प्रस्तुत दस्तावेजों एवं तर्कों के आधार पर विचारण कर यह माना कि अनावेदक संस्था ने परिवादी से मंथली इनकम प्लान के लिए 100000 रुपये प्राप्त किया था और मंथली इनकम के 36000 रुपये के स्थान पर केवल 12442 भुगतान किया इसीलिए परिवादी अंतर की राशि 23558 रुपये एवं मूल राशि 100000 रुपये मिलाकर कुल 123558 रुपये प्राप्त करने का अधिकारी है।
हर्जाना राशि
जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने अनावेदक संस्था अर्थतत्व साख सहकारी समिति के मैनेजर इदरीश अहमद पर कुल 1.44 लाख रुपये हर्जाना लगाया, जिसमें कुल परिपक्वता राशि 123558 रुपये, मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति स्वरूप रु. 20000 एवं वाद व्यय हेतु रु. 1000 भुगतान करने का आदेश दिया। जिसमें 7.50 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज पृथक से देय होगा। एजेंट के रूप में प्रकरण में पक्षकार बनाए गए रोहित कुमार खरे के विरुद्ध शिकायत प्रमाणित नहीं होने पर उसके खिलाफ प्रकरण खारिज किया गया।