छत्तीसगढ़

माकपा व ट्रेड यूनियनों ने संशोधन विधेयकों के खिलाफ किया जबरदस्त विरोध प्रदर्शन

रायपुर(खबर वारियर)कृषि संशोधन और श्रम कानूनों में संशोधन बिल का मतलब है कि देश की आत्मा को पूंजीपतियों, कॉरपोरेट्स के हाथों गिरवी रख रही है केंद्र सरकार,

पूरे देश में किसान संगठनों के भारत बंद के समर्थन में रायपुर में माकपा व ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं के संयुक्त प्रदर्शन को संबोधित करते हुए माकपा के राज्य सचिव मण्डल सदस्य व सीटू के राज्य सचिव धर्मराज महापात्र ने उक्त बात कही ।

उन्होंने कहा कि कृषि ,भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद है।देश कीअर्थव्यवस्था की आत्मा है । आज भी 2011 की जनगणना के अनुसार देश की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है । कृषि विशेषज्ञों ,अर्थ शास्त्रियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का यह मानना है कि –

” यह बिल कृषक , कृषि और देश की अर्थव्यवस्था के लिए काफी खतरनाक व हानिकारक है। इससे खाद्यान्न के मामले में किसान और देश पूर्णतः कारपोरेट की गुलामी के दल दल में धंस जाएगा।इससे अमीर और गरीब के बीच की खाई बहुत बढ़ जाएगी। पूंजीपतियों और कॉरपोरेट्स घरानों का कृषि पर सीधे सीधे कब्जा हो जाएगा ।”

तीन महत्वपूर्ण संशोधन जो किए जा रहे हैं ।

पहला – शासकीय कृषि उपज मंडी को समाप्त कर खुले बाज़ार की व्यवस्था –

किसान अपने उपज को सीधे बाजार में बेचने के लिए स्वतंत्र होगा लेकिन उसके न्यूनतम समर्थन मूल्य की कोई बात नहीं है, जब किसान बिना किसी सुरक्षा कवच सीधे बाजार के हवाले होगा और सामने बड़े पूंजीपति और कॉरपोरेट्स घराने होंगे तो क्या किसान जो पहले से ही कर्ज़ के बोझ तले दबा है वह स्वयं को अपनी ज़मीन और कृषि को बचा पाने में सफल होगा? बड़े कॉरपोरेट्स घराने कब उन्हें निगल जाएंगे किसी को अहसास भी नहीं हो पाएगा।

दूसरा विल संविदा खेती की इजाजत याने इसमें कोई भी कार्पोरेट किसानों से कांट्रेक्ट करके खेती कर पायेगा। और विवाद की स्थिति में एस डी एमऔर कलेक्टर स्तर पर ही अन्तिम निपटारा होगा। क्या यह किसानों को सीधे मौत के मुंह में ढकेलने की खतरनाक साज़िश नहीं है?

पहले ही गुजरात में पेप्सिको और पंजाब व हरियाणा के किसान अन्य बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से उसकी सजा भोग चुके है ।

तीसरा अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव , इसमें सरकार अब यह बदलाव लाने जा रही है कि किसी भी अनाज को आवश्यक उत्पाद नहीं माना जायेगा।इसका मतलब है कि जमाखोरी अब गैर कानूनी नहीं रहेगी। कारोबारी अपने हिसाब से खाद्यान्न और दूसरे उत्पादों का भंडारन कर सकेंगे और दाम अधिक होने पर उसे बेच सकेंगे। याने उपभोक्ता को लूटने की खुली छूट । सरकारी खरीद की कहीं का खात्मा, याने भंडारण से सरकार का हाथ खींचना, याने आने वाले समय में सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर हमला ।

उल्लेखनीय है कि कृषि राज्य की विषय सूची में है और मंडी कानून राज्य के अधिकार में है विंका उनकी सलाह के मडी ही समाप्त करने का ऐलान कर दिया यह हमारे संघीय ढांचे पर बड़ा हमला है ।
किसानों से सुरक्षा कवच छीन कर पूंजीपतियों और कॉरपोरेट्स घरानों से खुले मुकाबले को किसानों के हित में बताया जा रहा है । यह किसानो की आज़ादी नहीं पूंजीपतियों के लिए लूट की आज़ादी का कानून है ।

राज्यसभा में बिना मतदान किए भारी शोरगुल और हंगामे के बीच आनन फानन में बिल को पास किया गया है यह लोकतंत्र ,संविधान और देश की अस्मिता पर ही गंभीर हमला है ।

प्रदर्शन को माकपा नेता राजेश अवस्थी, प्रदीप गभने, गोदावरी, मनोज देवांगन ने भी संबोधित किया । इसके अलावा बड़ी संख्या में कार्यकर्ता अपने घरों, बस्तियों में प्रदेश भर में प्रदर्शन किए । यह प्रदर्शन करोना के नियमों और शारीरिक दूरी के।नियमों का पालन करते हुए आयोजित किए गए । समूचे प्रदेश में यह बंद सफल रहा ।

इस प्रदर्शन मे प्रमुख रूप से धर्मराज महापात्र, प्रदीप ग्भ्नें, शीतल पटेल, भाऊराम वर्मा, गोदावरी बाई,मनोज देवांगन, पुष्पा वर्मा, सुरेश देवांगन, बिरसिग चौहान, ज्वाला प्रसाद, धर्मराज महापात्र, राजेश अवस्थी,राधेलाल, तिलक वर्मा, रानी तारक,अजय ठाकुर, पार्वती डेकाटे, पवित पटेल, राजू वर्मा, अजय प्रजापति, प्रदीप मिश्रा, नवीन गुप्ता, अतुल देशमुख शामिल रहे ।

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