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सर्कस के रिंग मास्टर की तरह होती है संगीत के क्षेत्रों में निर्देशक की ज़िम्मेदारियाँ- कल्याण सेन

रायपुर(खबर वारियर)अपनी यादगार प्रस्तुतियों के जाने जाने वाले “ईमंच म्यूज़िक टॉक शो” में आज रविवार की शाम जाने माने संगीतकार कल्याण सेन, रायपुर से एवं डॉ. ओंकार पाल बनारस से शामिल हुए, इस कार्यक्रम का संचालन सीनियर जनर्लिस्ट वसंत वीर उपाध्याय एवं कु. शांभावी उपाध्याय द्वारा किया गया ।

कार्यक्रम की शुरूवात डॉ. ओंकार पाल  द्वारा राम भजन से किया गया तत्पश्चात संगीतकार कल्याण सेन द्वारा संगीत निर्देशन से संबंधित विषयों पर जानकारी दी गई, जिसमें निर्देशन की बारीकियाँ, वादक एवं गायक/गायिका का चयन, गीत में भाव लाने जैसे मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गयी।

कल्याण सेन ने बताया की पहले गीत में क्वालिटी ज़्यादा होती थी और अब टेक्नोलॉजी में क्वालिटी ज़्यादा होती है,अब गीतों में भाव का अभाव होता है । उन्होंने बताया पहले टेक्नोलॉजी का प्रयोग कम होने के कारण रिकॉर्डिंग के समय निर्देशकों पर काफ़ी दबाव होता था, परंतु अब उतना नहीं होता है।
सेन ने बताया की गीत में रस लाने के लिए यदि संगीत निर्देशक को हिंदी साहित्य एवं शास्त्रीय संगीत का ज्ञान हो तो उसे काफ़ी सहायता मिलती है, क्योंकि गीत में गीत के सिचूएशन के आवश्यकतानुसार रस होना बहुत ज़रूरी होता है ।

उन्होंने कहा की हमारी शिक्षा प्रणाली में संगीत निर्देशन पर डिप्लोमा/डिग्री विषय बनाए जाने पर काफ़ी ज़ोर देने की आवश्यकता है |

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ फ़िल्म उद्योग को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है, और इसमें क्या क्या सुधार करने की आवश्यकता है, इस विषय पर भी विस्तृत चर्चा किया गया।
कार्यक्रम का समापन राग भैरवी पर आधारित डॉक्टर ओंकार पाल जी के भजन के साथ किया गया, कार्यक्रम को नीचे दिए गए फ़ेसबुक पेज लिंक पर देखा जा सकता है।

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