छत्तीसगढ़

कोई भी हिन्दी माध्यम के स्कूल नहीं होगें बन्द,न होंगे शिक्षकों के अनावश्यक स्थानांतरण – विकास उपाध्याय 

कर्मचारी संघ के विरोध के बाद संसदीय सचिव ने दिया आश्वासन

रायपुर (खबर वारियर) छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी शाला प्रारंभ करने हेतु राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास के तहत हिन्दी माध्यम शालाओं को बंद करने तथा हिन्दी शालाओं को अंग्रेजी माध्यम में विलय किए जाने का कड़ा विरोध जताया है। संघ ने इससे प्रदेश में संचालित होने वाले 172 शालाओं के बंद हो जाने का अंदेशा जताया है। इसके कारण 1,37,000 छात्रों अंग्रेजी माध्यम का मिलने वाला लाभ विवादों में फंस जाएगा

इस संबंध में पालकों,छात्रों व शिक्षकों की नाराजगी के बाद कर्मचारी संघ द्वारा रायपुर पश्चिम के  विधायक व राज्य के संसदीय सचिव विकास उपाध्याय को उत्पन्न विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया गया।तत्पश्चात विधायक विकास उपाध्याय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए संघ को आश्वस्त किया है कि कोई भी हिन्दी माध्यम के स्कूल बंद नहीं होगें तथा शिक्षकों के अनावश्यक स्थानांतरण नहीं किए जाएंगें।

छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संध के प्रांतीय अध्यक्ष विजय कुमार झा एवं जिला शाखा अध्यक्ष इदरीश खाॅन, कार्यकारी प्रांताध्यक्ष अजय तिवारी ने बताया है कि शिक्षा विभाग में वर्तमान् में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी विद्यालय प्रारंभ किया जाकर, अंग्रेजी निजी शालाओं में अध्ययन खर्चीला होने के कारण छत्तीसगढ़ के होनहार बच्चों को अंग्रेजी शिक्षा दिए जाने की महती जनकल्याणकारी योजना है। किंतु प्रत्येक जिला मुख्यालय एवं विकासखण्ड के महत्वपूर्ण एवं बड़ी शालाएं जिनमें सभी संकाय संचालित है, तथा शालाओं में दर्ज संख्या भी सर्वाधिक है। उन्हीं विद्यालयों का चयन अंग्रेजी माध्यम के लिए किया गया है।

स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार पूर्व में इन विद्यालयों को दो पालियों में क्रमशः एक पाली अंग्रेजी माध्यम तथा द्वितीय पाली हिन्दी माध्यम हेतु संचालित किए जा रहे थे। अब राज्य सरकार नवीन सेटअप बनाने, संविदा शिक्षकों की भर्ती करने तथा लगभग 7000 शिक्षकों को स्थानांतरित कर अंग्रेजी माध्यम की शाला संचालित करना चाहती है।

स्कूल शिक्षाा विभाग ने 30 जून 21 को पुराने सेटअप में छेड़छाड कर नवीन सेटअप बनाने के का निर्णय लिया है। इससे हिन्दी माध्यम के शालाओं का अस्तित्व ही समाप्त किया जाकर राज्य में हिन्दी माध्यम के प्रमुख 171 स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया है। इससे प्रदेश के गरीब जनता व छात्रों को भारी नुकसान होगा तथा हिन्दी माध्यम के शालाओं की संपूर्ण व्यवस्था चौपट हो जावेगी।

नवीन सेटअप में कला, कृषि, व्यवसायिक, वाणिज्य, रसायन, सामाजिक विज्ञान, भौतिकी के हिन्दी माध्यम के व्याख्याता का पद स्वीकृत नहीं किया गया है। हिन्दी माध्यम के लिए हिन्दी, गणित, जीव विज्ञाान आदि के एक-एक व्याख्याता एवं दो शिक्षक का पद स्वीकृत किया गया है। इतने कम स्टाफ से 500 से अधिक हिन्दी माध्यम के छात्रों को अध्यापन कराना संभव नहीं है। क्योंकि नवीन पदसंरचना 171 अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों के लिए है।

प्रदेश के प्रत्येक विद्यालय में औसतन लगभग 500 से अधिक छात्र अध्ययनरत है, उनका अध्यापन संभव प्रतीत नहीं होता है। साथ ही 171 शालाओं के हिन्दी माध्यम के शिक्षकों का भविष्य भी अंधकारमय हो जावेगा। अनेक विषय ऐसे है जो विकास खण्डों में उन्ही विद्यालयों में है,जहां अंग्रेजी माध्यम खोला गया है। उन संकायों के विद्यार्थी,उस संकाय के अध्ययन से वंचित हो जावेगें। जैसे कृषि, व्यवसायिक, स्वास्थ, आई.टी. विषय प्रमुख है।

विकास खण्ड मुख्यालयों के विद्यालयों में ओपन स्कूल व अन्य परीक्षाओं का केन्द्र रहता है, जो अंग्रेजी माध्यम हो जाने के कारण पूरी तरह प्रभावित हो जाएगा। इन विद्यालयों में अन्य विषयों के अध्ययन केन्द्र भी रहते है, जो प्रभावित होगें।

वर्तमान व्यवस्था में हिन्दी व अंग्रेजी माध्यम अलग-अलग पालियों में संचालित हो रहे है। इसलिए हिन्दी व अंग्रेजी विषयों के पद संरचना पृथक-पृथक ही रखा जाना श्रेयस्कर होगा। किसी भी स्थिति में इनका विलय न किया जावे। दोनों के लिए अलग-अलग भवनों की व्यवस्था की जावे। जहां भवन का अभाव है, वहां दो पालियों में संचालित किया जाना चाहिए।

संघ के कोरबा अध्यक्ष जे.पी.उपाध्याय, बिलासपुर अध्यक्ष जी.आर.चन्द्रा, बस्तर अध्यक्ष गजेन्द्र श्रीवास्तव, प्रांतीय उपाध्यक्ष, संतोष पाण्डेय, महासमुंद अध्यक्ष ओम नारायण शर्मा, महामंत्री उमेश मुदलियार, संभागीय अध्यक्ष संजय शर्मा, प्रांतीय सचिव रामचन्द्र ताण्डी, विमल चन्द्र कुण्डू, ज्ञानेश झा, सुरेन्द्र त्रिपाठी,गणेश झा आदि नेताओं ने हिन्दी माध्यमों के स्कूलों को बंद करने तथा अंग्रेजी में विलय करने से छात्र, शिक्षकों के साथ होने वाले अन्याय को तत्काल बंद करने की मांग शिक्षा मंत्री से की हैे।

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