छत्तीसगढ़

हिंदुस्तान इस्पात ठेका श्रमिक यूनियन सीटू ने मनाया मई दिवस

फिर होने दो धरती संघर्षो से लाल,
लड़ेंगे जीतेंगे एकता की देंगे मिशाल।

भिलाई(खबर वारियर)इस्पात ठेका श्रमिक यूनियन सीटू के महवाचीव योगेश सोनी ने कहा कि कोरोना संकट तो एक वक़्त तक रहेगा, लेकिन मज़दूरों के लिए यह लम्बे समय का वायरस साबित होगा। काम के घंटे बढ़ाने, मनमर्जी भर्ती व वेतन का प्रावधान, लॉकडाउन में फंसे मज़दूरों में से काम लायक मज़दूरों को चुनने, संकट के बहाने छंटनी आदि महज संकेत मात्र हैं!

कोरोना/लॉकडाउन के बीच तमाम कारखाने खुल रहे हैं, लेकिन बहुत कुछ बदला हुआ है। जहाँ मज़दूरों के स्किल की जाँच के बहाने मनमाने काम पर रखने की छूट मिल रही है, वहीँ ‘काम नहीं तो वेतन नहीं’ के साथ कार्य-अवधि 8 से बढाकर 12 घंटे दैनिक करने के आदेश पारित हो रहे हैं। इन सबके बीच संकटग्रस्त प्रवासी मज़दूरों की दिक्कतें जारी है।

गौरतलब है कि वर्तमान सरकार 14 अप्रैल को लॉकडाउन को 3 मई तक आगे बढ़ा दिया था लेकिन 20 अप्रैल से कुछ राहतों का ऐलान भी किया था। लेकिन ये राहत दरअसल उद्योगपतियों की माँग के अनुरूप हैं। पूरी कवायद पूँजीपतियों की शीर्ष संस्था सीआईआई द्वारा तैयार रूपरेखा के तहत हो रहा है।

कारखानों को खोलने, व्यापार संचालित करने, देश को तीन जोन में बाँटने आदि उनके दिशानिर्देश के अनुरूप ही है। इस बहाने श्रम क़ानूनों में मज़दूर विरोधी परिवर्तनों को लागू करने का अभ्यास भी हो रहा है। जिसमें काम के घंटे बढ़ाना, मनमाने तरीके से मज़दूरों की भर्ती करने और निकालने की खुली छूट देना आदि शामिल है।

केंद्र की भाजपा सरकार कथित तौर पर 12 घंटे कार्य दिवस को वैध बनाने का प्रयास  कर रही है।
केंद्र की भाजपा सरकार भी सरकारी आदेश  या अध्यादेश के माध्यम से श्रमिक वर्ग के हित के विरुद्ध 44 श्रम  कानूनों को 4 कोड में बदल कर मजदूर वर्ग के मूल अधिकारों पर हमला कर रही है।

सरकार और उसके साथी,  यानि बड़े उद्योगपति, जाहिर तौर पर चाहते हैं कि मजदूरों को परिस्थितियों का  गुलाम बना दिया जाए।  कोरोना और लॉकडाउन के  कारण गिरती अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की दलील पर मेहनतकश लोगों के अधिकारों पर कई और हमले किए जा  रहे हैं। सरकार श्रमिकों और आम लोगों पर पूरा बोझ डाल रही है।

केंद्र सरकार कैबिनेट  के  द्वारा  केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों के मंहगाई भत्ता/ डीए  में 4% वृद्धि को अनुमोदन दिये जाने की घोषणा के बाद वह  वृद्धि जुलाई 2021 तक रोक दी  गयी है ।

कई राज्य सरकारें कर्मचारियों के साथ बिना किसी परामर्श के एकतरफा वेतन कटौती की जा रही है सरकार के सभी निर्देशों और दिशानिर्देशों के बावजूद श्रमिकों की छटनी जारी है।

भिलाई ओद्योगिक क्षेत्र में ऐसे हजारो श्रमिक बेरोजगारी भूखमरी की कगार पर:

अध्य्क्ष जमिल अहमद ने बताया कि आज भी भिलाई में मेहनतकश वेतन को मोहताज है भिलाई इस्पात संयंत्र सहित आस पास के छोटे बड़े उद्योग में मजदूरो की छटनी की जा रही है और वेतन भुगतान नही किया जा रहा है भिलाई इस्पात संयंत्र जैसे बड़े उद्योगों में भी श्रमिको को वेतन भुगतान नही किया गया है ।

मजदूरो में आक्रोश:-

यूनियन लीडर कमलेश चोपड़ा ने बताया कि सरकार के आदेश के बावजूद डब्ल्यू एम ड़ी(जल प्रबंधन विभाग) सहित मैत्री गार्डन के हार्टीकल्चर में कार्यरत श्रमिको को पिछले दो माह से वेतन नही मिला है और तीसरा माह लग गया जिसकी शिकायत तमाम प्रशासन के अधिकारियों सहित प्रबन्धन से की जा चुकी है पर तीन माह से उन्हें वेतन भुगतान नही किया गया है ।

संक्रमण काल मे देशबन्दी के दौरान कार्यरत मजदूरो को काम से बैठाया जा रहा है सेक्टर 9 के लॉन्ड्री में कार्यरत श्रमिको को काम से बैठा दिया गया है।

वही अटेंडेंट का ठेका 30 मई को समाप्त हो जाने के कारण नया टेंडर अब तक नही होने व पुराने टेंडर को एक्सटेंशन ने देने के कारण 53 एटेंडेंट के परिवार को रोजी रोटी का संकट सामने नजर आ रहा है।

अतः सरकार के देश बंदी के दौरान 29 मार्च को जारी आदेशो का अनुपालन नही करते हुए श्रमिको की छटनी व रोजी रोटी का संकट गहराता जा रहा है हिंदुस्तान इस्पात ठेका श्रमिक यूनियन सीटू ने ऐसे तमाम हमलों के खिलाफ मई दिवस के अवसर पर आने वाले समय पर संघर्षो को तेज करने का संकल्प भी लिया गया।

मजदूरों और कर्मचारियों के बड़े वर्ग, जिनमें फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर्स भी शामिल हैं, लगभग 24 घंटे काम कर रहे हैं और दूसरों की जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। प्रवासी श्रमिकों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों सहित बड़ी संख्या में मेहनतकश लोग कोरोना का खामियाजा भुगत रहे हैं और नौकरी छूटने के कारण  रोजी रोटी के संकट से जूझ रहे है वहीं पर कुछ श्रमिक आश्रय ना होने के कारण अपने  परिवार के सदस्यों के साथ  आसमान के नीचे भूखे रह रहे हैं।

श्रमिकों ने झंडा थामे ली प्रतिज्ञा :-

1.कोरोना वायरस से सुरक्षित रहेंगे  और आपने  स्वास्थ्य की देखभाल करेंगे  |
2.आठ घंटे के कार्य दिवस के अधिकार, जिस पर हमला हो रहा है ,  की रक्षा के लिए लड़ने के लिए एकजुट रहेंगे
3.नियोक्ताओं के पक्ष में, श्रमिकों के अधिकारों के दमन के लिए   44 श्रम कानूनों को चार कोड में  विलय के खिलाफ एकजुट रहेंगे
4.मौजूदा सामाजिक सुरक्षा, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य उपायों की रक्षा करने और उन्हें सार्वभौमिक कवरेज के लिए समावेशी बनाने के लिए लड़ाई  के लिए एकजुट रहेंगे
5.सार्वजनिक उपक्रमों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बेचने  खिलाफ, लड़ने के लिए एकजुट रहेंगे
6.कोरोना  वायरस के कारण बढ़े हुए आर्थिक संकट के बोझ  को पूरी तरह से कामगार वर्ग पर स्थानांतरित करने के खिलाफ  हम सब एकजुट रहेंगे।
7.मज़दूरों के अर्जित लाभ, अधिकार और धन की रक्षा करते हुए हम पूँजीपतियों और सरकारों के ऐसे तुच्छ प्रयासों के विरुद्ध लड़ने के लिए एकजुट होंगे  |

मजदूर वर्ग की एकता और सभी 8मेहनतकशों की एकता को बाधित करने और उन्हें धर्म, क्षेत्र, नस्ल, जाति, जातीयता और लिंग के आधार पर विभाजित करने के सभी प्रयासों को विफल करने के लिए एकजुट होकर लड़ेंगे |

शोषणकारी पूंजीवादी व्यवस्था के खात्मे के लिए संघर्ष व शोषण मुक्त समाज, समाजिक  व्यवस्था कायम करने के लिए एकजुट रहेंगे।

मजदूरो ने लगाए नारे:-

सामाजिक एकजुटता और एकता पर जोर देते हुए मई दिवस पर लगाये नारे
मई दिवस जिंदावाद!
मजदूर वर्ग की एकता जिंदाबाद !
बेवजह काम से बैठाना नही चलेगा
मजदूरो-किसानों की एकता जिंदाबाद!
समाजवाद जिंदाबाद!
पूंजीवाद  मुर्दाबाद!
दुनिया के मजदूरों एक हो !

क्यो मनाया जाता है मई दिवस:

यूनियन के वरिष्ठ लीडर पी के मुखर्जी ने मई दिवस पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उद्योगों ओर कल कारखानों के शुरुवाती दिनों से ही पूंजीपति मालिक अपने बेलगाम मुनाफे के लिए नाम मात्र की मजदूरी देकर श्रमिको को 12,14व 18 घण्टे अमानवीय मेहनत करने को मजबूर करते थे इसके खिलाफ पहले ही अमरीका यूरोप और आस्ट्रेलिया में मजदूर आंदोलन विकसित हो चुके थे 8 घण्टे काम और साप्ताहिक छुट्टी की मांग पर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जोरदार होकर फैल गया इसी दौरान पहली मई 1886 में शिकागो के मजदूर हड़ताल पर चले गए ओर 4 मई को हे मार्केट में एकत्र मजदूरो की भीड़ पर तत्कालीन सरकार ने गोली चलवा दी थी, जिसमें सैकड़ों मजदूरों की मौत हो गई थी।जिसके पश्चात शहीदों की खून से सनी कमीज को हाथ मे थाम कर मजदूरो ने उसे अपना परचम बनाया था

हे मार्केट की घटना से दुनिया स्तब्ध हो गई थी। इसके बाद 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक हुई। इस बैठक में यह घोषणा की गई हर साल 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाएगा और इस दिन मजदूरों को छुट्टी दी जाएगी। साथ ही काम करने की अवधि केवल 8 घंटे होगी। इसके बाद से हर साल 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है।

आज कोरोना महामारी की विकट परिस्तिथि मे पूरी दुनिया अभूतपुर्व खतरे का सामना कर रही है संकट पहले से ही थे पर उनकी तुलना में आज उनकी मात्रा में कई गुना इजाफा हुआ है आर्थिक संकट के तमाम बोझ गरीबो पर लादने पर आमादा है वर्तमान सरकार अब महामारी का अतिरिक्त बोझ भी मजदूरो को ही सबसे ज्यादा झेलना पड़ रहा है ।

स्थायी काम की अवधारणा को नकार देना
ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा देना न्यूनतम मजदूरी व अन्य जायज हकों से मजदूरो को वंचित करना व तमाम हांसिल किये गए हक ओर अधिकारों को छिनने के प्रक्रिया को कानून वैधता प्रदान करने श्रमिक विरोधी कानून को लाने की तमाम कवायद जारी है।

इसी बीच करोना के संकट ने मेहनतकशो की रोजी रोजगार के संकट को कई गुना बढ़ा दिया इसमें प्रवासी मजदूर की तादाद सबसे ज्यादा है जो सबकुछ गवा कर घर जाने को हजारो मिल पैदल ही निकल चुका है, तो कोई फिर से रोजगार की आस लगाए बैठे हर तकलीफ झेल रहा है पर कोई निश्चितता नही है न ही घर पहुचने की न ही रोजी रोटी की

इस बार का माई दिवस मेहनतकशो के हांसिल अधिकारों की रक्षा , मेहनतकशो पे आये संकट के खिलाफ संघर्षो को तेज करने व पूंजीवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकने जैसे संकल्पों के साथ मनाया गया जिसमें विभिन्न श्रमिको ने अपने अपने घरों व कार्यस्थल के समक्ष सामाजिक दूरियों का पालन करते हुए हाथ मे पोस्टर झंडे लिए मनाया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button