विचार

आखिर इंसान इतना निष्ठुर कैसे हो सकता है?क्या हममें इन्सानियत नहीं बची है?

प्रकाशपुंज पांडेय✍

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केरल में साइलेंट वैली जंगल में हथिनी को पटाखे से भरा हुआ अन्नानास खिला दिया गया था जो उसके मुंह में फट गया और एक सप्ताह बाद 27 मई को उसकी मौत हो गई। इस दौरान वह काफी समय तक एक नज़दीकी तलाब में खड़ी रही थी।

वन विभाग ने इस मामले में कहा है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए वह कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगा। विभाग ने कहा, ‘हथिनी के शिकार के लिए दर्ज मामले में कई संदिग्धों से पूछताछ की गई है।

इस संबंध में गठित एसआईटी को अहम सुराग मिले हैं। वन विभाग दोषियों को अधिकतम सजा दिलवाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगा।’

केरल में पिछले महीने के आखिर में गर्भवती हथिनी की निर्ममता पूर्वक की गई हत्या के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

राज्य के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री के मीडिया सलाहकार अमर प्रसाद रेड्डी ने यह जानकारी दी। अमर प्रसाद रेड्डी ने ट्वीट किया, ‘केरल में हथिनी की हत्या के मामले में अमजद अली और तमीम शेख की गिरफ़्तारी हुई है।

मैं राज्य के मुख्यमंत्री से इस मामले में बिना धर्म, जाति या पंथ के देखे पारदर्शी जांच की मांग करता हूं।’

केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने ट्वीट कर हथिनी के हत्यारों को सजा दिलाए जाने की बात कही थी। उन्होंने गुरुवार को ट्वीट किया था कि जांच जारी है और तीन संदिग्धों पर फोकस है।

पुलिस और वन विभाग संयुक्त रूप से इस घटना की जांच कर रहे हैं। जिला पुलिस प्रमुख और जिला वन विभाग के अधिकारियों ने मौके का मुआयना किया। हम वो हरसंभव करेंगे जिससे हत्यारों को सजा मिल सके।

इस खबर के ज्ञात होने के बाद मनुष्य का मनुष्यता पर से विश्वास उठ गया है। आखिर क्यों एक निर्दोष जानवर का दुश्मन बन जाता है इंसान? वो भी तब जब उसके गर्भ में एक और जान पल रहा हो!

कई बार मानव जाति का निर्मम चेहरा सामने आया है। कभी किसी बंदर के साथ अत्याचार तो कभी किसी गधे के साथ। कभी किसी कुत्ते के साथ तो कभी किसी बिल्ली के साथ।

आखिर इंसानों का जानवरों और पक्षियों के साथ ऐसा निर्मम व्यवहार करने का क्या औचित्य है? क्यों इंसान सिर्फ अपने मज़े लेने के लिए जानवरों और पक्षियों के साथ इतना क्रूर व्यवहार करता है। मैं इस घटना की भर्त्सना करता हूँ।

मुख्यमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि आपमें से कई लोग हमारे पास आए। हम आपको यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आपकी चिंता व्यर्थ नहीं जाएगी। इंसाफ की जीत होगी।

उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग इस हादसे का इस्तेमाल कर घटिया कैंपेन कर रहे हैं। मेरे विचार में ऐसे इंसानों का समाज में रहने का कोई हक नहीं है और कानून को भी ऐसे लोगों को मौत की सज़ा देनी चाहिए ताकि उन्हें भी एहसास हो कि मौत कैसी होती है।

(प्रकाशपुन्ज पाण्डेय,समाजसेवी व राजनीतिक विश्लेषक,हैं,यह विचार निजी हैं)

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