मध्य प्रदेश

जिला अस्पताल में बेड की क्षमता कम, 8 बच्चो ने तोडा दम

मध्यप्रदेश के शहडोल के जिला अस्पताल में दो और नवजात शिशुओं की मौत हो गई है। पिछले पांच दिनों में इस अस्पताल में कुल आठ बच्चे अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें से चार बच्चे ऐसे हैं, जो मात्र दो से पांच दिन पहले ही अस्पताल में भर्ती हुए थे। सबसे चौकाने वाली बात यह है कि इस अस्पताल में मात्र 20 बेड हैं, लेकिन यहां 32 बच्चे इलाज के लिए भर्ती थे।

लापरवाही के बाद भी क्लीन चिट

इतनी बड़ी लापरवाही के बावजूद अस्पताल की जांच करने पहुंची सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर के वरिष्ठ डॉक्टर पवन घनघोरिया और सहायक प्राध्यापक डॉ. अखिलेंद्र सिंह परिहार की दो सदस्यीय टीम ने डॉक्टरों को क्लीन चिट दे दी। जांच दल ने कहा कि यहां डॉक्टर सही उपचार दे रहे हैं। हालांकि उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि स्टाफ-नर्स की कमी जरूर है और जगह भी कम है लेकिन इले बढ़ाना होगा।

सीएमएचओ बोले, मौसमी परिवर्तन

सीएमएचओ डॉ. राजेश पांडे का कहना है कि हर साल इस तरह का मौसमी परिवर्तन होता है। पिछले हफ्ते निमोनिया से पीड़ित बच्चे आए थे लेकिन अब उनकी संख्या घटी है।

सात बच्चों को था निमोनिया

अस्पताल प्रशासन ने दावा किया है मरने वाले आठ में से सात बच्चे निमोनिया से पीड़ित थे, जबकि एक बच्चे की मौत गंदा पानी पीने की वजह से हो गई थी। नवजात को डिलिवरी के दौरान गंदा पानी पिला दिया था, जिसके बाद बच्चे की मौत हो गई थी। सोमवार को दो और बच्चों की मौत हो गई, इन दोनों बच्चों की उम्र तीन माह बताई जा रही है।

जिलाधिकारी का बयान

डॉ. घनघोरिया की प्रारंभिक रिपोर्ट दर्ज करने के बाद शहडोल के जिलाधिकारी सतेंद्र सिंह ने कहा कि जिन बच्चों की मौत हुई, वे कुपोषित नहीं थे। हर एक बच्चे की केस हिस्ट्री शासन को भेजी गई थी। 20 बेड की क्षमता वाले अस्पताल में 32 बच्चों को अगर भर्ती किया जाए तो दिक्कत तो होगी ही।

उन्होंने आगे कहा कि शहडोल अस्पताल पर उमरिया, अनूपपुर और डिंडोरी जिले का भी दबाव होता है। यहां के बच्चे शहडोल जिला अस्पताल में रैफर किए जाते हैं।

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