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सक्रिय कुष्ठ मरीजों  की खोज एवं निरंतर निगरानी के लिए चिकित्सकों और फील्ड स्टाफ को दिए गए प्रशिक्षण

रायपुर (खबर वारियर) सक्रिय कुष्ठ मरीजों की  खोज एवं निरंतर निगरानी (ACD&Rs) अभियान के अंतर्गत मेडिकल आफिसर (शहरी), फील्ड स्टाफ एवं एन.एम.ए. (शहरी) का प्रशिक्षण आयोजित किया गया।

मास्टर ट्रेनर्स के रूप में डॉ. फिरोज खान अधीक्षक कुष्ठधाम व अस्पताल, पंडरी ने विस्तार से बताया। जिला टीकाकरण अधिकारी एवं जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ. आशिष वर्मा, जिला डाटा मैनेजर  निशामणी साहू जिला मीडिया प्रभारी गजेन्द्र डोंगरे, जिला कुष्ठ सलाहकार डॉ. राखी चैहान ने भी कुष्ठ के संबंध में महत्तवपूर्ण जानकारी दी।

उल्लेखनीय है कि रायपुर जिले के सभी विकासखंडों एवं शहरी क्षेत्रों में सक्रिय कुष्ठ मरीज खोज एवं निरंतर निगरानी अभियान (ACD&Rs) दो चरणों में चलाया जा रहा हैं। इसका प्रथम चरण 15 जुलाई से सितम्बर 2021 तक आयोजित हुआ तथा द्वितीय चरण दिसम्बर 2021 से फरवरी 2022 तक आयोजित होगा।

निगरानी अभियान 2021 के लिये रायपुर जिले में 2778 कुष्ठ खोजी दल बनाया गया हैं जिसके द्वारा गृह भेट कर संदेहास्पद चर्मरोगियों की खोज की जावेगी। दल जिला स्वास्थ्य समिति एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. श्रीमती मीरा बघेल के मार्ग-दर्शन में कार्य करेगी। दल में एक मितानिन एवं एक स्वयंसेवी पुरूष कार्य करेंगे। जहाँ आर.एच.ओ कार्यरत है वहां पुरूष स्वयसेवी सर्वेक्षण कार्य नहीं करेंगे।

ए.सी.डी अभियान अति-संवेदनशील, संवेदनशील एवं सामान्य ग्रामों में एवं शहरी वार्डो में किया जावेगा। संदेहास्पद चर्मरोगियों का सत्यापन मेडिकल ऑफिसर द्वारा किया जायेगा। संदेहास्पद मरीज मिलने पर खोजी दल द्वारा रिफरल स्लीप देकर निकट के स्वास्थ्य केन्द्र में कुष्ठ की पुष्टीकरण हेतु भेजा जायेगा जहां पर चिकित्सा अधिकारी द्वारा कुष्ठ की पुष्टीकरण करने के पश्चात् तत्काल उपचार में लाया जावेगा। सर्वे अभियान जिले के सभी विकासखंडों में प्रारंभ हो गया हैं। रायपुर शहर में यह सितम्बर माह से शुरू किया जायेगा।

कुष्ठ रोग के लक्षण

चमड़ी पर चमड़ी के रंग से फीके या बदरंग दाग धब्बे जिसमें शून्यपन हो अर्थात जिन दागो में खुजली, जलन या चुभन न हों, चेहरे पर लाल, तामिया, तेलिया चमक हों, तंत्रिकाओं में सुजन, मोटापन, हाथ-पैरों में शून्यपन व झुनझुनी हो, ये कुष्ठ की पहचान हैं।

कुष्ठ के उपचार

कुष्ठ का उपचार एम.डी.टी. से किया जाता हैं। पी.बी. प्रकार के रोगियों को छ माह नियमित दवा से उपचार किया जाता है। एम.बी. प्रकार के रोगियों को बारह माह की नियमित दवा से उपचार किया जाता है।

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