छत्तीसगढ़

शिक्षा विभाग में पदोन्नति पर कोरोना प्रोटोकाल व शासन के निर्देशों की अनदेखी का संघ ने लगाया आरोप,

पदस्थ शाला में पद रिक्त होने के बाद भी की गई दिव्यांग-दृष्टिबाधित की 100 कि.मी.दूर पदस्थापना

रायपुर(khabar warrior)- छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संध ने प्रदेश में उच्च वर्ग शिक्षक से प्रधानपाठक पदोन्नति में भारी अनियमितता, छत्तीसगढ़ शासन वित्त विभाग के कोरोना प्रोटाकाल के विपरित, सरकार को बदनाम करने दिव्यांग, दृष्टिबाधित शिक्षकों को दूरस्थ स्वेच्छाचारिता से पदस्थापना की गई है। उच्च वर्ग शिक्षक के शाला में ही पद रिक्त होने के बाद भी 100 किलोमीटर दूर पदस्थ किया गया। वहीं कृपापात्रों पर भारी कृपा बरसने से शिक्षकों के बीच लेनदेन की शिकायतें प्राप्त हो रही है।

संध ने जनप्रतिनिधियों को वस्तुस्थिति से कराया अवगत

जनप्रतिनिधियों ने भी कारोनाकाल में भी भ्रष्टाचार को अनुचित बताते हुए सरकार को बदनाम करने की साजिश बताया है।
संध के प्रांतीय अध्यक्ष विजय कुमार झा एवं जिला शाखा अध्यक्ष इदरीश खाॅन ने बताया है कि राज्य सरकार ने वर्षो से लंबित पदोन्नति प्रक्रिया को त्वरित गति प्रदान करने तथा पदोन्नति के दौरान कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ शासन, वित्त विभाग मंत्रालय ने वित्त निर्देश क्रमांक 12/2020 जारी कर शासकीय व्यय में मितव्ययिता एवं वित्तीय अनुशासन निर्देश अपनाने का निर्देश समस्त विभागों को प्रसारित किया है।

इसकी कंडिका 2-2 पदोन्नति के संबंध में निर्देशित है कि ‘‘विभाग द्वारा नियमित पदोन्नति में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाए। किंतु पदोन्नति के परिणाम स्वरूप होने वाले स्थानांतरण को रोकने हेतु यथा संभव उस पद को उसी स्थान पर आगामी आदेश तक अस्थायी तौर पर उन्नयन (अपग्रेड) किया जाए।

इससे स्पष्ट है कि कारोना काल में उक्त निर्देश का पालन सुनिश्चित करते हुए, जिस संस्था में पदोन्नति योग्य अभ्यर्थी है, उनकी पदस्थापना उसी संस्था में तथा अभ्यर्थीयों की संख्या अधिक है वहां वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ अभ्यर्थी को उसी स्थान में तथा अन्य अभ्यर्थियों को संकुल अंतर्गत या निकटस्थ संस्था में पदोन्नति दी जावे। इससे संबंधित शिक्षक को वास्तविक पदोन्नति का अहसास होगा एवं राज्य शासन के निर्देश के तहत कोरोना से बचाव के साथ साथ स्थानांतरण भत्ता भुगतान से प्रदेश के वित्तीय संकट को दृष्टिगत् रखते हुए बचाव होगा।

किंतु शिक्षा विभाग ने संस्था में पद रिक्त होने के बाद भी 100 किलोमीटर दूर जिला व विकास खण्डों में पदस्थ किया है। इसमें महिलाओं, दिव्यांगों व दृष्टिबाधित शिक्षकों को भी नहीं बक्शा गया है। पदोन्नति आदेश में किसी प्रकार का मापदण्ड दर्शित नहीं हो रहा है। पदोन्नति आदेश को मनमाने ढंग से पदस्थापना का निर्णय लिया गया है। संध को शिकायत् मिली है कि महासमुंद जिले में सबसे अधिक अनियमितता की गई है।

जिसमें आशीबाई गोलछा शास. उच्च माध्य. शाला महासमुंद संलग्न पूर्व माध्यमिक शाला में 4 शिक्षकों की पदोन्नति हुई जिसमें वेंटेंश राव शतप्रतिशत् दृष्टिबाधित शिक्षक है, उन्हें खट्टा शाला 40-42 किलोमीटर दूर पदस्थ किया गया है, जबकि वे सबसे वरिष्ठ शिक्षक है। वहीं किरण शर्मा दिव्यांग भी वहीं पदस्थ थीं उन्हें 30-35 किलोमीटर बेलटुकरी पदस्थ की गई है। संबसे कनिष्ठ शिक्षक को उनके पदस्थापना स्थल पर ही पदोन्नत कर दिया गया है। इसके विपरित कुछ शिक्षकों को इच्छित स्थान पर पदस्थ किया गया है,यह प्रक्रिया गंभीर अनियमितता व लेनदेन की ओर इंगित कर रहा है।

संध ने जनप्रतिनिधियों को शिकायत प्रस्तुत कर अवगत कराया है कि उसी संस्था व 8 किलोमीटर की परिधी में पद रिक्त होने के बाद भी 100-50 किलोमीटर दूर पदस्थ किया जाना संदेहास्पद् है। जनप्रतिनिधियों ने संध की तर्को को उचित ठहराते हुए उच्च स्तरीय जाॅच की मांग से अपनी सहमति जताते हुए पदोन्नति उपरांत पदस्थापना संबंधी मापदण्ड की जाॅच कराए जाने का आश्वासन दिया है।

संध के प्रांतीय उपाध्यक्ष अजय तिवारी, संभागीय अध्यक्ष उमेश मुदलियार, विश्वनाथ ध्रुव, विमल चंद्र कुण्डू, सुरेन्द्र त्रिपाठी, शिक्षक समिति के संयोजक ज्ञानेश झा, डाॅ0 अरूंधति परिहार, राजू मुदलियार कुंदन साहू, आदि नेताओं ने पदोन्नति उपरांत पदस्थापना आदेशों की उच्च स्तरीय जाॅच की मांग शिक्षा मंत्री प्रेमसिंह साय टेकाम, से की है।

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